भोपाल:
विश्व हिन्दी सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आने वाला वक्त अंग्रेजी और चीनी भाषा के साथ ही हिन्दी का भी है।
उन्होंने कहा, मैं विदेशों में जहां भी जाता हूं, वहां लोग बेहद उत्साह के साथ हिन्दी को सुनते और समझते हैं। साहित्य वर्तमान का दर्पण होता है और साथ ही वह अपने समय के बारे में पूरी जानकारी देता है। अगर प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ 'रेणु' और जयशंकर प्रसाद न होते तो हमें कैसे पता चलता कि उस समय की समाज व्यवस्था और मुश्किलें क्या थीं।
पीएम ने कहा कि भाषाओं को जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए और हिन्दी इस में सूत्रधार बन सकती है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हिन्दी का बड़ा बाजार भी है और उसके लिए जरूरी है कि हम हिन्दी को आगे बढ़ाएं। संस्कृत भाषा लुप्त होती जा रही है, हमें उसके लिए भी सोचना चाहिए।
उन्होंने कहा, मैं विदेशों में जहां भी जाता हूं, वहां लोग बेहद उत्साह के साथ हिन्दी को सुनते और समझते हैं। साहित्य वर्तमान का दर्पण होता है और साथ ही वह अपने समय के बारे में पूरी जानकारी देता है। अगर प्रेमचंद, फणीश्वर नाथ 'रेणु' और जयशंकर प्रसाद न होते तो हमें कैसे पता चलता कि उस समय की समाज व्यवस्था और मुश्किलें क्या थीं।
पीएम ने कहा कि भाषाओं को जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए और हिन्दी इस में सूत्रधार बन सकती है। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हिन्दी का बड़ा बाजार भी है और उसके लिए जरूरी है कि हम हिन्दी को आगे बढ़ाएं। संस्कृत भाषा लुप्त होती जा रही है, हमें उसके लिए भी सोचना चाहिए।
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