जम्मू:
सियाचिन ग्लेशियर स्थित एक सैन्य चौकी के बुधवार को हिमस्खलन की चपेट में आने से उसमें दबे एक जेसीओ सहित 10 सैनिकों के आज शहीद होने की पुष्टि हो गई है।
हालांकि सेना और भारतीय वायु सेना के अधिकारी कल से ही इन सैनिकों को बचाने के प्रयास में लगे हुए थे। लद्दाख क्षेत्र में कल उत्तरी ग्लेशियर सेक्टर में 19,000 फुट पर स्थित एक चौकी हिमस्खलन की चपेट में आ गई थी। हिमस्खलन में एक जेसीओ और नौ जवान फंस गए थे। ये जवान चौकी पर तैनात मद्रास बटालियन से हैं।
आधुनिक उपकरणों के साथ विशेषज्ञों के दल आज सुबह लेह ले जाए गए। लेकिन खोजी कुत्तों और इन विशेषज्ञों की मदद के बावजूद सैनिकों को बचाया नहीं जा सका।
उनके मारे जाने की आशंका की पुष्टि करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘सियाचिन में सैनिकों का मारा जाना दुखद है। मैं उन वीर सैनिकों को सलाम करता हूं जिन्होंने देश के लिए प्राण दिए। उनके परिवारों के प्रति संवेदनाएं।’’ उत्तरी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने एक संदेश में कहा, ‘‘यह दुखद हादसा है और हम उन सैनिकों को सलाम करते हैं जिन्होंने सभी चुनौतियों को झेलते हुए हमारी सीमाओं की रक्षा की और ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया।’’
उत्तरी कमान के रक्षा जनसंपर्क अधिकारी कर्नल एसडी गोस्वामी ने जम्मू में पहले दिए गए एक बयान में कहा था, ‘‘बचाव दल बहुत खराब मौसम और प्रतिकूल वातावरण का सामना कर हादसे में जीवित बचे लोगों का पता लगाने और उन्हें बचाने में जुटा हुआ है। हालांकि, हमें बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि अब किसी के जीवित मिलने की संभावना बहुत क्षीण है।’’ ग्लेशियर पर तापमान रात को शून्य से नीचे 42 डिग्री सेल्सियस से लेकर दिन में शून्य से नीचे 25 डिग्री सेल्सियस तक होता है।
बर्फ हटाने के लिए भारी मशीनें, विशेष उपकरण आदि लगाए गए थे। वहीं सेना और वायुसेना के जवानों ने खराब मौसम के बावजूद लापता सैनिकों की खोज में कोई कसर नहीं छोड़ी। कर्नल गोस्वामी ने बताया कि चौकी पर बर्फ के बड़े टुकड़े के गिरने के कारण वह बहुत नीचे धंस गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसे हटाना काफी मुश्किल काम है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘कल के प्रयासों से आगे बढ़ते हुए चौकी तक पहुंचने के लिए आज एक विशाल बचाव दल तैनात किया गया।’’ इस बीच पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी मदद की पेशकश की लेकिन उससे इनकार कर दिया गया।
सेना के सूत्रों ने दिल्ली में बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल आमिर रियाज ने आज दिन में अपने भारतीय समकक्ष सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह को फोन करके मदद की पेशकश की थी।
हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने भारतीय सैनिकों को बचाने में अपने पाकिस्तानी समकक्ष की ओर से की गई मदद की पेशकश को स्वीकार करने से आज मना करते हुए कहा कि सभी जरूरी संसाधन पहले से ही काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि सीमा के पास कोई भी हादसा होने के बाद ऐसे फोन आना सामान्य बात है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें इसके लिए धन्यवाद दिया और कहा कि चूंकि हमारे संसाधन और टीम वहां मौजूद हैं और पर्याप्त हैं, हमने कहा कि फिलहाल हमें किसी प्रकार के मदद की जरूरत नहीं है।’’ जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने जनरल हुड्डा से बात कर मारे गए सैनिकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई।
हालांकि सेना और भारतीय वायु सेना के अधिकारी कल से ही इन सैनिकों को बचाने के प्रयास में लगे हुए थे। लद्दाख क्षेत्र में कल उत्तरी ग्लेशियर सेक्टर में 19,000 फुट पर स्थित एक चौकी हिमस्खलन की चपेट में आ गई थी। हिमस्खलन में एक जेसीओ और नौ जवान फंस गए थे। ये जवान चौकी पर तैनात मद्रास बटालियन से हैं।
आधुनिक उपकरणों के साथ विशेषज्ञों के दल आज सुबह लेह ले जाए गए। लेकिन खोजी कुत्तों और इन विशेषज्ञों की मदद के बावजूद सैनिकों को बचाया नहीं जा सका।
उनके मारे जाने की आशंका की पुष्टि करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, ‘‘सियाचिन में सैनिकों का मारा जाना दुखद है। मैं उन वीर सैनिकों को सलाम करता हूं जिन्होंने देश के लिए प्राण दिए। उनके परिवारों के प्रति संवेदनाएं।’’ उत्तरी कमान के सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने एक संदेश में कहा, ‘‘यह दुखद हादसा है और हम उन सैनिकों को सलाम करते हैं जिन्होंने सभी चुनौतियों को झेलते हुए हमारी सीमाओं की रक्षा की और ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया।’’
Demise of soldiers in Siachen is very tragic. I salute the brave soldiers who gave their lives to the nation. Condolences to their families.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 4, 2016
उत्तरी कमान के रक्षा जनसंपर्क अधिकारी कर्नल एसडी गोस्वामी ने जम्मू में पहले दिए गए एक बयान में कहा था, ‘‘बचाव दल बहुत खराब मौसम और प्रतिकूल वातावरण का सामना कर हादसे में जीवित बचे लोगों का पता लगाने और उन्हें बचाने में जुटा हुआ है। हालांकि, हमें बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि अब किसी के जीवित मिलने की संभावना बहुत क्षीण है।’’ ग्लेशियर पर तापमान रात को शून्य से नीचे 42 डिग्री सेल्सियस से लेकर दिन में शून्य से नीचे 25 डिग्री सेल्सियस तक होता है।
बर्फ हटाने के लिए भारी मशीनें, विशेष उपकरण आदि लगाए गए थे। वहीं सेना और वायुसेना के जवानों ने खराब मौसम के बावजूद लापता सैनिकों की खोज में कोई कसर नहीं छोड़ी। कर्नल गोस्वामी ने बताया कि चौकी पर बर्फ के बड़े टुकड़े के गिरने के कारण वह बहुत नीचे धंस गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसे हटाना काफी मुश्किल काम है।’’ उन्होंने बताया, ‘‘कल के प्रयासों से आगे बढ़ते हुए चौकी तक पहुंचने के लिए आज एक विशाल बचाव दल तैनात किया गया।’’ इस बीच पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भी मदद की पेशकश की लेकिन उससे इनकार कर दिया गया।
सेना के सूत्रों ने दिल्ली में बताया कि पाकिस्तान के डीजीएमओ मेजर जनरल आमिर रियाज ने आज दिन में अपने भारतीय समकक्ष सैन्य अभियान महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह को फोन करके मदद की पेशकश की थी।
हालांकि लेफ्टिनेंट जनरल सिंह ने भारतीय सैनिकों को बचाने में अपने पाकिस्तानी समकक्ष की ओर से की गई मदद की पेशकश को स्वीकार करने से आज मना करते हुए कहा कि सभी जरूरी संसाधन पहले से ही काम कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि सीमा के पास कोई भी हादसा होने के बाद ऐसे फोन आना सामान्य बात है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें इसके लिए धन्यवाद दिया और कहा कि चूंकि हमारे संसाधन और टीम वहां मौजूद हैं और पर्याप्त हैं, हमने कहा कि फिलहाल हमें किसी प्रकार के मदद की जरूरत नहीं है।’’ जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने जनरल हुड्डा से बात कर मारे गए सैनिकों के परिजनों के प्रति संवेदना जताई।
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