पीएम मोदी ( फाइल फोटो )
नई दिल्ली:
संसद में कार्यवाही नहीं चलने के कारण एनडीए सांसदों का 23 दिनों का वेतन छोड़ने की घोषणा के बाद पीएम मोदी ने अपना वेतन और भत्ते छोड़ दिया है. पीएम मोदी ने 5 मार्च से अपना 79752 रुपये का वेतन भत्ता छोड़ दिया है. इससे पहले बीजेपी सांसदों ने भी वेतन और भत्ते छोड़ दिए थे. हालांकि इस मुद्दे पर एनडीए में मतभेद हैं. शिवसेना ने कहा है कि पार्टी भाजपा के साथ नहीं है जबकि दूसरी सहयोगी रालोसपा ने कहा कि उसे फैसले की जानकारी नहीं है. आपको बता दें कि केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा था कि सत्तारूढ़ एनडीए के सांसद 23 दिनों का वेतन नहीं लेंगे. उन्होंने विपक्षी कांग्रेस को संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में कामकाज नहीं होने के लिए जिम्मेदार ठहराया था.
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लेकिन बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद की कार्यवाही के लगातार बाधित रहने को लेकर सरकार को घेरते हुए शिवसेना ने आज कहा कि एनडीए सांसदों के 23 दिन के वेतन छोड़ने के मुद्दे पर वह भाजपा के साथ नहीं है. दक्षिण पश्चिमी मुंबई से शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने कहा कि वेतन और भत्ते नहीं लेने के बारे में फैसला करते समय उनकी पार्टी की राय नहीं ली गयी थी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिवसेना ‘भाजपा के साथ नहीं है.’
वीडियो : संसद के बाहर बीजेपी के सांसदों और मंत्रियों का प्रदर्शन
सावंत ने कहा, ‘‘उन्होंने फैसला करने से पहले हमसे राय-मशविरा नहीं किया. उन्हें केवल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनावों के दौरान एनडीए की याद आती है.’’ आपको बता दें कि शिवसेना के 18 सांसद हैं और वह एनडीए का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है. एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने आज कहा कि उन्हें एनडीए सांसदों द्वारा बजट सत्र के दूसरे हिस्से के दौरान 23 दिनों का वेतन नहीं लेने के फैसले की जानकारी नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं इसके बारे में नहीं जानता हूं.’’ कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राजग की घटक दल है और लोकसभा में उसके तीन सदस्य हैं.
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लेकिन बजट सत्र के दूसरे चरण में संसद की कार्यवाही के लगातार बाधित रहने को लेकर सरकार को घेरते हुए शिवसेना ने आज कहा कि एनडीए सांसदों के 23 दिन के वेतन छोड़ने के मुद्दे पर वह भाजपा के साथ नहीं है. दक्षिण पश्चिमी मुंबई से शिवसेना के सांसद अरविन्द सावंत ने कहा कि वेतन और भत्ते नहीं लेने के बारे में फैसला करते समय उनकी पार्टी की राय नहीं ली गयी थी. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर शिवसेना ‘भाजपा के साथ नहीं है.’
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सावंत ने कहा, ‘‘उन्होंने फैसला करने से पहले हमसे राय-मशविरा नहीं किया. उन्हें केवल राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति चुनावों के दौरान एनडीए की याद आती है.’’ आपको बता दें कि शिवसेना के 18 सांसद हैं और वह एनडीए का दूसरा सबसे बड़ा घटक दल है. एनडीए में शामिल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने आज कहा कि उन्हें एनडीए सांसदों द्वारा बजट सत्र के दूसरे हिस्से के दौरान 23 दिनों का वेतन नहीं लेने के फैसले की जानकारी नहीं है. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मुझे इसकी जानकारी नहीं है. मैं इसके बारे में नहीं जानता हूं.’’ कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी राजग की घटक दल है और लोकसभा में उसके तीन सदस्य हैं.
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