पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह (Raghuvansh Prasad) के निधन पर पीएम मोदी ने शोक जताया. श्रद्धांजलि देते हुए बोले- रघुवंश बाबू के निधन से बिहार और देश की शून्य पैदा हुआ है. गरीबी को समझने वाले और जमीन से जुड़े शख्स थे रघुवंश प्रसाद सिंह. बीजेपी के संगठन में था तो रघुवंश जी से लगातार परिचय रहा. टीवी डिबेट में हमारे बीच वाद-विवाद चलता था.
पीएम मोदी ने कहा कि गुजरात का मुख्यमंत्री होने के नाते विकास कार्यों के लेकर उनके (रघुवंश प्रसाद सिंह) संपर्क में लगातार रहता था. उनके स्वास्थ्य को लेकर मैं चिंता करता था और जानकारियां लेता रहता था. रघुवंश बाबू के भीतर पिछले कुछ दिनों से मंथन चल रहा था. जिन आदर्शों को लेकर चले थे, जिनके साथ चले थे, उनके साथ चलना अब उनके लिए संभव नहीं था. उनका मन जद्दोजहद में था.
गौरतलब है कि देश में मनरेगा जैसी योजना का श्रेय यूपीए में सरकार में मंत्री रहे रघुवंश प्रसाद को जाता है. आरजेडी नेता और लालू प्रसाद यादव के सबसे निकट सहयोगी रहे रघुवंश प्रसाद कई दिनों से पार्टी से नाराज चल रहे थे और उन्होंने दो दिन पहले ही अपना इस्तीफा लालू प्रसाद यादव को भेजा था. जिसके जवाब में लालू ने चिट्ठी लिखकर उनसे कहा था, आप कहीं नहीं जा रहे हैं'.
रघुवंश प्रसाद सिंह ने गुरुवार को ही आरजेडी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था और उसके बाद प्रसाद के चिर प्रतिद्वंद्वी एवं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुला पत्र लिखा था जिससे उनके भावी कदमों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया. कोविड-19 संक्रमण से उबरने के बाद उन्हें स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां होने पर करीब एक सप्ताह पहले दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थाान(एम्स) में भर्ती कराया गया था.
अस्पताल में उनके साथ रह रहे उनके एक सहयोगी ने फोन पर यहां पीटीआई-भाषा से कहा, 'सिंह साहिब की स्थिति पिछली रात बहुत बिगड़ गयी. रात 11 बजकर 56 मिनट पर उन्हें जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया। हम उनके कल्याण के लिए प्रार्थना कर रहे है.
अच्छे और बुरे दोनों ही दौर में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के साथ चट्टान की तरह खड़े रहने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह की कुछ महीने पहले पार्टी से तब अनबन हो गयी जब, चर्चा होने लगी कि माफिया डॉन से नेता बने एवं वैशाली लोकसभा क्षेत्र में उनके प्रतिद्वंद्वी रमा सिंह के चलते उन्हें पार्टी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा.
मनमोहन सिंह सरकार में प्रसाद के मंत्रिमंडल सहयोगी रहे रघुवंश प्रसाद सिंह ने रमा सिंह को आरजेडी में नहीं आने दिया था. उपाध्याक्ष पद से इस्तीफा देते समय उन्होंने राजद की प्राथमिक सदस्यता तो नहीं छोड़ी लेकिन वह पार्टी के रोजमर्रा के कामकाज से दूर रहने लगे. इसके लिए उनके खराब स्वास्थ्य को कारण बताया गया.
बृहस्पतिवार को प्रसाद को भेजे हस्तलिखित पत्र में रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी छोड़ने की घोषणा की और उनका यह पत्र सोशल मीडिया में आ गया. उसके अगले ही दिन रघुवंश प्रसाद सिंह ने अस्पताल से दूसरा पत्र लेकिन इस बार यह नीतीश कुमार को लिखा गया. इसे उनके मुख्यमंत्री के करीब जाने के उनके प्रयास के रूप में देखा गया. (इनपुट भाषा से भी)
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