Covid-19 Pandemic: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों के साथ-साथ निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में दिल्ली से बाहर के लोगों के इलाज को प्रतिबंधित करने के दिल्ली सरकार (Delhi Government) के फैसले को अदालत में चुनौती दी गई है. दिल्ली विश्वविद्यालय के दो छात्रों की ओर से इस संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi Highcourt) में याचिका दायर की गई है. यह छात्र यूपी और बिहार के निवासी हैं. याचिका में कहा गया है कि इस फैसले से दिल्ली में रहने वाले उन लोगों के स्वास्थ्य संबंधी मामलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिनके पास निवास का प्रमाण नहीं है.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के उक्त आदेश संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 के तहत समानता के अधिकार का हनन हैं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश न तो विवेकपूर्ण है और न ही उस उद्देश्य को पूरा करता है जो COVID-19 के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए प्राप्त किया जाना चाहिए. यह कहा गया है कि उक्त आदेश संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है क्योंकि महामारी के चलते में निवासी राज्य से बाहर जाने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
गौरतलब है कि दिल्ली में बढ़ते कोरोना के मामलों के बीच दिल्ली कैबिनेट ने फैसला लिया है कि दिल्ली सरकार के और प्राइवेट अस्पतालों में केवल दिल्ली के निवासियों का इलाज होगा जबकि केंद्र सरकार के अस्पतालों में सभी का इलाज होगा. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कांफ्रेंस कर इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इसी के साथ इसी के साथ दिल्ली से बाहर के सभी लोगों के लिए बॉर्डर खोल दिए जाएंगे. उन्होंने बताया कि दिल्ली में बढ़ते मामलों के चलते फैसले लिया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के अस्पतालों में देशभर के लोगों का इलाज हो सकेगा. केजरीवाल के अनुसार दिल्ली में जून के आखिरी तक 15 हजार बेड की जरूरत होगी, जबकि हमारे पास सिर्फ 10 हजार बेड हैं. ऐसे में अस्पतालों को सबके लिए खोला जाना संभव नहीं होगा. दिल्ली में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. कोविड-19 संक्रमितों का आंकड़ा 27 हजार के पार हो गया है.
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