विज्ञापन
This Article is From Feb 12, 2018

जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच का मामला : महाराष्ट्र सरकार ने SIT जांच का विरोध किया

महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा, 'ये याचिका न्यायपालिका को सकेंडलाइज करने के लिए की गई है. ये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है. सिर्फ इसलिए कि सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष हैं, आरोप लगाए जा रहे हैं, प्रेस कांफ्रेस की जा रही है.

जज लोया की मौत की स्वतंत्र जांच का मामला : महाराष्ट्र सरकार ने SIT जांच का विरोध किया
जस्टिस बीएच लोया (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: महाराष्ट्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन चार न्यायाधीशों के बयान ‘असंदिग्ध’ हैं जो विशेष सीबीआई न्यायाधीश बीएच लोया के जीवन के अंतिम दिन उनके साथ थे और जिन्होंने उनकी मौत को ‘स्वाभाविक’ बताया था. महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश मुकुल रोहतगी ने कहा, 'ये याचिका न्यायपालिका को सकेंडलाइज करने के लिए की गई है. ये राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है. सिर्फ इसलिए कि सत्तारूढ़ पार्टी के अध्यक्ष हैं, आरोप लगाए जा रहे हैं, प्रेस कांफ्रेस की जा रही है. अमित शाह के आपराधिक मामले में आरोपमुक्त करने को इस मौत से लिंक किया जा रहा है. उनकी मौत के पीछे कोई रहस्य नहीं है. इसकी आगे जांच की कोई जरूरत नहीं.'

मामले की सुनवाई कर रही पीठ में न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं. उन्‍होंने पीठ से कहा, 'जज लोया की मौत 30 नवंबर 2014 को हुई और तीन साल तक किसी ने इस पर उंगली नहीं उठाई. ये सारे सवाल कारवां पत्रिका की नवंबर 2017 की खबर के बाद उठाए गए जबकि याचिकाकर्ताओं ने इसके तथ्यों की सत्यता की जांच नहीं की. 29 नवंबर से ही लोया के साथ मौजूद चार जजों ने अपने बयान दिए हैं और वो उनकी मौत के वक्त भी साथ थे. उन्होंने शव को एंबुलेंस के जरिए लातूर भेजा था. पुलिस रिपोर्ट में जिन चार जजों के नाम हैं उनके बयान पर भरोसा नहीं करने की कोई वजह नहीं है. इनके बयान पर भरोसा करना होगा. अगर कोर्ट इनके बयान पर विश्वास नहीं करती और जांच का आदेश देती है तो इन चारों जजों को सह साजिशकर्ता बनाना पड़ेगा. जज की मौत दिल के दौरे से हुई और 4 जजों के बयानों पर भरोसा ना करने की कोई वजह नहीं है. याचिका को भारी जुर्माने के साथ खारिज किया जाए.'

जनहित याचिकाओं पर फैसलों का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने यह तय करने के लिए अपने नियमों में संशोधन कर दिया था और दिशा निर्देश तय किए थे कि कौन जनहित याचिकाएं दायर कर सकता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रेरित जनहित याचिकाएं हतोत्साहित हों और उन पर विचार नहीं किया जाए. मामले में अगली सुनवाई शुक्रवार को होगी.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com