नई दिल्ली:
पूर्व सासंद फूलन देवी हत्याकांड के दोषी शेर सिंह राणा की उम्र कैद की सजा को निलंबित करके दिल्ली हाईकोर्ट ने उसे जमानत दे ही है. यह जमानत सशर्त है और 12 साल, 11 महीने व 15 दिन के बाद शेर सिंह राणा रिहा हो रहा है.
हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये के मुचलके और 50-50 हजार की दो स्योरटी पर राणा को रिहा करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि रिहाई के बाद राणा जहां भी रहेगा, पता और मोबाइल नंबर ट्रायल कोर्ट और पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने के एसएचओ को देगा.
कोर्ट ने कहा कि अगर वह पता या मोबाइल नंबर बदलता है, तो उसे इसके लिए भी सूचित करना होगा. साल में दो बार दिसंबर और जून के दूसरे शनिवार को उसको रुड़की के SP को हाजिरी देने का भी आदेश दिया गया है. इसके अलावा उसे फूलन देवी के परिवार से नहीं मिलने की भी हिदायत दी गई है.
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, लेकिन वह केस अभी सुनवाई पर नहीं आया है. इस सुनवाई में अभी वक्त लगेगा. शेर सिंह पहले ही जो सजा काट चुका है, उसके आधार पर उसकी याचिका स्वीकार की जाती है. लेकिन इससे अपील मामले की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
8 अगस्त 2014 को ट्रायल कोर्ट ने शेर सिंह को दोषी करार देते हुए 14 अगस्त को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि 11 अन्य को बरी कर दिया था. सजा के निलंबन के लिए अर्जी में शेर सिंह राणा की ओर से कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने पुलिस की साजिश की थ्योरी पर भरोसा नहीं किया और 11 आरोपियों को बरी कर दिया.
कहा, ट्रायल कोर्ट ने पुलिस को बताए हत्या के उद्देश्य को भी नहीं माना. यहां तक कि एजेंसी के कार से चांस प्रिंट मिलने और हथियार बरामद करने के दावे को भी नहीं माना. चश्मदीदों ने भी जो बयान दिए हैं, वो भ्रामक हैं, उसका नाम पंकज बताया गया लेकिन ये नाम उसका नहीं है. ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी करार देने में भूल की है.
उधर दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि शेर सिंह की सजा निलंबित नहीं की जा सकती. वो फरवरी 2004 से मई 2006 तक दो साल जेल से फरार रहा है. पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी हुई थी.
हाईकोर्ट ने 50 हजार रुपये के मुचलके और 50-50 हजार की दो स्योरटी पर राणा को रिहा करने का आदेश दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि रिहाई के बाद राणा जहां भी रहेगा, पता और मोबाइल नंबर ट्रायल कोर्ट और पार्लियामेंट स्ट्रीट थाने के एसएचओ को देगा.
कोर्ट ने कहा कि अगर वह पता या मोबाइल नंबर बदलता है, तो उसे इसके लिए भी सूचित करना होगा. साल में दो बार दिसंबर और जून के दूसरे शनिवार को उसको रुड़की के SP को हाजिरी देने का भी आदेश दिया गया है. इसके अलावा उसे फूलन देवी के परिवार से नहीं मिलने की भी हिदायत दी गई है.
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है, लेकिन वह केस अभी सुनवाई पर नहीं आया है. इस सुनवाई में अभी वक्त लगेगा. शेर सिंह पहले ही जो सजा काट चुका है, उसके आधार पर उसकी याचिका स्वीकार की जाती है. लेकिन इससे अपील मामले की सुनवाई पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
8 अगस्त 2014 को ट्रायल कोर्ट ने शेर सिंह को दोषी करार देते हुए 14 अगस्त को उसे उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जबकि 11 अन्य को बरी कर दिया था. सजा के निलंबन के लिए अर्जी में शेर सिंह राणा की ओर से कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने पुलिस की साजिश की थ्योरी पर भरोसा नहीं किया और 11 आरोपियों को बरी कर दिया.
कहा, ट्रायल कोर्ट ने पुलिस को बताए हत्या के उद्देश्य को भी नहीं माना. यहां तक कि एजेंसी के कार से चांस प्रिंट मिलने और हथियार बरामद करने के दावे को भी नहीं माना. चश्मदीदों ने भी जो बयान दिए हैं, वो भ्रामक हैं, उसका नाम पंकज बताया गया लेकिन ये नाम उसका नहीं है. ट्रायल कोर्ट ने उसे दोषी करार देने में भूल की है.
उधर दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि शेर सिंह की सजा निलंबित नहीं की जा सकती. वो फरवरी 2004 से मई 2006 तक दो साल जेल से फरार रहा है. पुलिस ने दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी हुई थी.
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