तीन तलाक के बाद अब बहु-विवाह और हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

शमीन ने अपनी याचिका में कहा गया है कि  मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए.

तीन तलाक के बाद अब बहु-विवाह और हलाला के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो

खास बातें

  • मुस्लिम पर्सनल लॉ के कुछ अनुच्छेद में प्रतिबंध लगाने की मांग
  • कहा- दूसरे देशों में ऐसी कूरितियों पर लगा हुआ है बैन
  • तीन तलाक का दंश झेल चुकी हैं याचिकाकर्ता
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक की तरह ही बहुविवाह और हलाला पर भी रोक लगाने के लिए एक याचिका दायर की गई है. शमीना बेगम नाम की एक मुस्लिम महिला ने बहुविवाह और हलाला को असंवैधानिक करार दिए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. गौरतलब है कि तीन बच्चों की मां शमीना दो बार तीन तलाक का दंश झेल चुकी हैं. शमीन ने अपनी याचिका में कहा गया है कि  मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) आवेदन अधिनियम, 1937 की धारा 2 को संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21 और 25 का उल्लंघन करने वाला घोषित किया जाए. क्योंकि यह बहु विवाह और निकाह हलाला को मान्यता देता है.

यह भी पढ़ें: 1700 से ज्यादा सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज हैं आपराधिक मामले

भारतीय दंड संहिता, 1860 के प्रावधान सभी भारतीय नागरिकों पर बराबरी से लागू हों. उन्होंने अपनी याचिका में यह भी कहा कि ट्रिपल तलाक आईपीसी की धारा 498A के तहत एक क्रूरता है. निकाह-हलाला आईपीसी की धारा 375 के तहत बलात्कार है और बहुविवाह आईपीसी की धारा 494 के तहत एक अपराध है. याचिका में कहा गया है कि कुरान में बहुविवाह की इजाजत इसलिए दी गई है ताकि उन महिलाओं और बच्चों की स्थिति सुधारी जा सके, जो उस समय लगातार होने वाले युद्ध के बाद बच गए थे और उनका कोई सहारा नहीं था. पर इसका मतलब यह नहीं है कि इसकी वजह से आज के मुसलमानों को एक से अधिक महिलाओं से विवाह का लाइसेंस मिल गया है.

यह भी पढ़ें: भैय्याजी जोशी चौथे कार्यकाल के लिए आरएसएस के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए

याचिका में उन अंतरराष्ट्रीय कानूनों और उन देशों का भी जिक्र किया गया है, जहां बहुविवाह पर रोक है. शमीना ने कहा है कि सभी तरह के पर्सनल लॉ का आधार समानता होनी चाहिए, क्योंकि संविधान महिलाओं के लिए समानता, न्याय और गरिमा की बात कहता है.गौरतलब है कि शमीना बेगम का पहला निकाह 1999 में हुआ. इससे उनके दो बेटे हुए. पति से लगातार झगड़े और मारपीट से तंग आकर जब उन्होंने पुलिस में शिकायत की, तो पति ने उन्हें चिट्ठी से तलाक दे दिया. इसके बाद शादीशुदा एक शख्स से उन्हें दोबारा शादी करने के लिए मजबूर किया गया.

VIDEO: सुप्रीम कोर्ट ने इच्छा मृत्यु को दी इजाजत.


शादी के बाद वह फिर से गर्भवती हो गईं. बाद में दूसरे पति ने भी मामूली कहासुनी पर शमीना को फोन पर ही फिर से तलाक दे दिया.


Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com