रक्षाबंधन : इस बार चीनी राखियां बाजार से गायब, बच्चे भी नहीं दिखा रहे हैं रुचि

इस बार इस त्योहार पर देशप्रेम का भी रंग चढ़ा है. यही कारण है कि बाजार में सजी राखियों की दुकानों से चीनी राखियां लगभग गायब हैं.

रक्षाबंधन : इस बार चीनी राखियां बाजार से गायब, बच्चे भी नहीं दिखा रहे हैं रुचि

फाइल फोटो

खास बातें

  • डोकलाम विवाद पड़ सकता है भारी
  • भारतीय नहीं चाइना के उत्पाद
  • चीनी राखियों पर दिख रहा है असर
नई दिल्ली:

भाई-बहन के असीम प्यार को कच्चे धागों में पिरो कर अटूट रिश्ते के साक्षी रहे रक्षाबंधन के त्योहार के लिए राजधानी लखनऊ के बाजार सजकर पूरी तरह तैयार हैं. इस बार इस त्योहार पर देशप्रेम का भी रंग चढ़ा है. यही कारण है कि बाजार में सजी राखियों की दुकानों से चीनी राखियां लगभग गायब हैं. यदि किसी दुकानों में लगी भी हैं तो बहनें उसे खरीदना पसंद नहीं कर रहीं. दरअसल, भारत और चीन के बीच हाल ही में पनपे सीमा विवाद और चीन के रुख को लेकर सोशल मीडिया पर चीनी सामानों का विरोध खूब हो रहा है, जिसका असर अब व्यावहारिक तौर पर दिखने लगा है. लखनऊ के आलमबाग, चौक, अमीनाबाद, भूतनाथ, नरही और नक्खास बाजार सहित तमाम बाजारों में दुकानदार चीनी माल लगा नहीं रहे हैं और लगा भी रहे हैं, तो खरीददार उसे खरीदने से इनकार कर रहे हैं. बच्चों की राखियों को छोड़कर बाजार से चीनी राखियां लगभग गायब हैं.

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हर साल चमकीली और फैशनेबल चीनी राखियों से भाई के प्रति अपने प्यार का इजहार करने वाली बहनें भी इस बार देसी राखियों को ही तवज्जो दे रही हैं. वहीं स्टोन (नग) वाली राखियों से बाजार पटा पड़ा है. लोगों को यह पसंद भी आ रही है. 60 से लेकर 350 रुपये वाली ये स्टोन की राखियां पूरी कलाई को स्टोन की खूबसूरत डिजाइन से ढकने वाले और ब्रेसलेट स्टाइल की हैं, जिनकी मांग भी ज्यादा है. ये राखियां खास तौर पर वह बहने पसंद कर रही हैं, जो शादी के बाद पहली बार अपने भाई को राखी बांधेगी.

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इसके अलावा उन्हें भी यह राखियां पसंद आ रही है, जिनके भाई दूसरे शहर में अपनी पहली नौकरी के बाद या सालों बाद घर आकर राखी त्योहार परिवार के साथ मनाने वाले हैं. हालांकि बहनों को खास तौर पर जरी और धागे वाली राखी पसंद आ रही है. 10 रुपये से 40 रुपये तक मिलने वाली इन राखियों की भी बहुत मांग है. मोती में पिरोए धागे की राखियां काफी आकर्षक और बहनों को पसंद आ रही है. वहीं बच्चों की राखियां बच्चों के लिए अलग से बनाई गई राखियों में चीनी राखियां भी दिख रही हैं, लेकिन लोग इन्हें लेना पसंद नहीं कर रहे.

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दुकानदारों का कहना है, 'इस बार हमने पिछले सालों के हिसाब से चीनी माल कम लगाया है, लेकिन बच्चों की कार्टून वाली राखियों में चीनी माल लगाया गया है, पर इनकी बिक्री नहीं हो रही है.' लखनऊ के आलमबाग बाजार में हर साल रक्षाबंधन पर दुकान लगाने वाले दुकानदार शुभम बताते हैं, 'इस बार बाजार में चीनी राखियां नहीं है. स्टोन की राखियां इस बार काफी चलन में है और लोग इसकी मांग कर रहे हैं. चीनी राखियां विशेषकर बच्चों की राखियों में रखी गई है, लेकिन इनकी भी बिक्री नहीं हो रही है.'

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अमीनाबाद बाजार के दुकानदार अजय बताते हैं, 'इस बार 20 रुपये से 120 रुपये वाली राखियों की बिक्री ज्यादा है. इस बार उन्होंने चीनी राखियां न के बराबर लगाई, लेकिन जो लगाई उनमें भी बिक्री नहीं हो रही है. हर साल की तरह डोरेमान, पोकेमान, एंग्री बर्ड सहित कई कार्टून कैरेक्टर्स वाली चीनी राखियां रखी गई हैं, लेकिन बच्चे भी इन राखियां को लेना पसंद नहीं कर रहे हैं.' वहीं दुकान पर भाई के लिए राखी लेने आई सोनल बताती हैं, 'पिछली बार उन्होंने चीनी राखी ली थी, लेकिन इस बार वह गलती नहीं करेंगी. वह अपने भाई के लिए देश में बनी स्टोन या जरी वाली राखी लेना पसंद करेंगी.'

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शादी के बाद अपना पहला रक्षाबंधन मनाने जा रही रितु मिश्रा और प्रीति सिन्हा को इस बार स्टोन की राखियां काफी पसंद आईं. उन्होंने कहा कि वह अपने भाइयों के लिए स्टोन की राखी लेंगी.

इनपुट : आईएनएस


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