पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती (फाइल फोटो)
जम्मू:
जम्मू कश्मीर में नई सरकार की कवायद तेज़ हो गई है। पीडीपी नेता महबूबा मुफ़्ती और बीजेपी नेता निर्मल सिंह राज्यपाल से मिले हैं। मुलाकात के बाद महबूबा मुफ़्ती ने कहा है बिना शर्त समर्थन के लिए बीजेपी का धन्यवाद।
दरअसल, राज्य में दो महीने से अधिक समय के राजनीतिक गतिरोध पर विराम लगाते हुए पीडीपी और भाजपा ने आज राज्यपाल एनएन वोहरा से संयुक्त रूप से मुलाकात की। महबूबा मुफ्ती के पीडीपी विधायक दल का नेता चुने जाने और मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी की ओर से नामित किए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को भाजपा के 25 विधायकों ने जम्मू में बैठक की और निर्मल सिंह को अपना नेता चुना।
निर्मल सिंह राज्य में महबूबा के नेतृत्व में बनने जा रही सरकार में उप मुख्यमंत्री होंगे। मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली सरकार में भी वह इसी पद पर थे।
इन घटनाक्रमों से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पीडीपी और भाजपा शनिवार के लिए राज्यपाल से समय मांगेगे और सरकार के गठन का दावा पेश करेंगे। सूत्रों ने कहा कि महबूबा सरकार बनाने के लिए पत्र सौंपेंगी जबकि सिंह अपनी ओर से समर्थन पत्र देंगे। पीडीपी के 27 विधायक हैं। राज्यपाल ने दोनों पार्टियों के अध्यक्षों (भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष) को अलग-अलग मुलाकात के लिए बुलाया था।
सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों ने आपसी रजामंदी से शुक्रवार की मुलाकात को स्थगित करने और मुलाकात के लिए समय मांगने का फैसला किया ताकि दोनों नेता राज्यपाल से एकसाथ मुलाकात करें और गठबंधन सरकार बनाने के फैसले के बारे में उन्हें सूचित करें।
विधायक दल की बैठक के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा, ‘‘भाजपा और पीडीपी गठबंधन के एजेंडे के आधार पर सरकार बनाएंगे। गठबंधन के एजेंडे में कोई बदलाव नहीं होगा। भाजपा विधायकों ने सर्वसम्मति से पीडीपी के साथ सरकार बनाने का निर्णय किया। पीडीपी के मुख्यमंत्री को समर्थन देंगे।’’ भाजपा विधायक दल की बैठक ऐसे समय हुई जब एक दिन पहले ही पीडीपी विधायक दल ने महबूबा मुफ्ती को विधायक दल का नेता और पार्टी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुना था।
बैठक में हिस्सा लेने वाले केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि राज्य में गठबंधन सहयोगी भाजपा और पीडीपी के बीच कोई मतभेद नहीं है। सिंह ने कहा, ‘‘कोई मतभेद नहीं था। जब आप गठबंधन में होते हैं तब आप एक दूसरे की पसंद एवं प्राथमिकताओं को स्थान देते हैं। स्वस्थ गठबंधन में ऐसा होता है और यह जम्मू कश्मीर के लिए अच्छा है।’’ मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद बीते आठ जनवरी को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा था।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
दरअसल, राज्य में दो महीने से अधिक समय के राजनीतिक गतिरोध पर विराम लगाते हुए पीडीपी और भाजपा ने आज राज्यपाल एनएन वोहरा से संयुक्त रूप से मुलाकात की। महबूबा मुफ्ती के पीडीपी विधायक दल का नेता चुने जाने और मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी की ओर से नामित किए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को भाजपा के 25 विधायकों ने जम्मू में बैठक की और निर्मल सिंह को अपना नेता चुना।
निर्मल सिंह राज्य में महबूबा के नेतृत्व में बनने जा रही सरकार में उप मुख्यमंत्री होंगे। मुफ्ती मोहम्मद सईद के नेतृत्व वाली सरकार में भी वह इसी पद पर थे।
इन घटनाक्रमों से जुड़े सूत्रों ने कहा कि पीडीपी और भाजपा शनिवार के लिए राज्यपाल से समय मांगेगे और सरकार के गठन का दावा पेश करेंगे। सूत्रों ने कहा कि महबूबा सरकार बनाने के लिए पत्र सौंपेंगी जबकि सिंह अपनी ओर से समर्थन पत्र देंगे। पीडीपी के 27 विधायक हैं। राज्यपाल ने दोनों पार्टियों के अध्यक्षों (भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष) को अलग-अलग मुलाकात के लिए बुलाया था।
सूत्रों का कहना है कि दोनों पार्टियों ने आपसी रजामंदी से शुक्रवार की मुलाकात को स्थगित करने और मुलाकात के लिए समय मांगने का फैसला किया ताकि दोनों नेता राज्यपाल से एकसाथ मुलाकात करें और गठबंधन सरकार बनाने के फैसले के बारे में उन्हें सूचित करें।
विधायक दल की बैठक के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने कहा, ‘‘भाजपा और पीडीपी गठबंधन के एजेंडे के आधार पर सरकार बनाएंगे। गठबंधन के एजेंडे में कोई बदलाव नहीं होगा। भाजपा विधायकों ने सर्वसम्मति से पीडीपी के साथ सरकार बनाने का निर्णय किया। पीडीपी के मुख्यमंत्री को समर्थन देंगे।’’ भाजपा विधायक दल की बैठक ऐसे समय हुई जब एक दिन पहले ही पीडीपी विधायक दल ने महबूबा मुफ्ती को विधायक दल का नेता और पार्टी के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुना था।
बैठक में हिस्सा लेने वाले केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह ने कहा कि राज्य में गठबंधन सहयोगी भाजपा और पीडीपी के बीच कोई मतभेद नहीं है। सिंह ने कहा, ‘‘कोई मतभेद नहीं था। जब आप गठबंधन में होते हैं तब आप एक दूसरे की पसंद एवं प्राथमिकताओं को स्थान देते हैं। स्वस्थ गठबंधन में ऐसा होता है और यह जम्मू कश्मीर के लिए अच्छा है।’’ मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद बीते आठ जनवरी को जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगा था।
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