कॉर्परल शैलभ गौर
अंबाला:
कॉर्परल शैलभ गौर अपनी यूनिट में लौटने को बेताब हैं। शैलभ भारतीय वायु सेना की टॉप कमांडो फ़ोर्स-गरुड़ के सदस्य हैं और उन्हें दो जनवरी को पठानकोट आतंकी हमले के दौरान मुठभेड़ में चार गोलियाँ लगी थीं। शैलभ बताते हैं कि स्कूल के दिनों में वह रैम्बो, कमांडो जैसे हॉलीवुड फिल्में देखना बेहद पसंद करते थे। परिवार की तीन पीढ़ियां रक्षा सेवाओं से जुड़ी रही हैं इसलिए उन्हें अपना रास्ता चुनने में ज़्यादा सोचना नहीं पड़ा। 2010 में शैलभ ने एयर फोर्स जॉन की और अगले साल गरुड़ कमांडो ट्रेनिंग पूरी कर ली।
शैलभ की यूनिट आदमपुर में तैनात थी जिसे एक जनवरी को पठानकोट कूच करने का आदेश मिला। एयरबस पर आतंकी ख़तरा मंडरा रहा था और उनकी कमांडो टुकड़ी को वेहिकल मेंटेनेन्स एरिया में कुछ मूवमेंट की ख़बर मिली। कंटीली तार से निकल कर कमांडो दस्ता जैसे ही भीतर दाखिल हुआ, भीतर छिपे बैठे आतंकियों ने एके 47, ग्रेनेड और मोर्टर से हमला बोल दिया।
डेढ़ घंटे चली मुठभेड़
फायरिंग में आगे चल रहे कमांडो गुरसेवक सिंह को गोली लगी और वह नीचे गिर गए। शैलभ को भी एहसास हुआ की कोई चीज़ उन्हें चुभी है, लेकिन भारी फायरिंग के बीच चेक करने का मौका नहीं था। शैलभ बताते हैं कि गुरसेवक उनके सबसे अच्छे दोस्त थे, दोनो ने एक साथ एयर फोर्स जोईन की थी। मुठभेड़ को करीब डेढ़ घंटे हो चुके थे, अब आतंकियों की फायरिंग की आवाज़ दूर से आने लगी थी। शैलभ की कमांडो टुकड़ी ने राहत की सांस ली, आतंकी टेक्निकल एरिया की तरफ जाने में नाकाम रहे। यहां फाइटर जेट और रडार रखे गए थे जिनकी सुरक्षा हर हाल में ज़रूरी थी।
सुबह के पांच बज चुके थे, शैलभ की हालत बिगड़ रही थी, अपने साथी को लेकर वो पास के बैरक़ में गए और चेक किया तो पता चला की गोलियाँ लगी हैं। डॉक्टर तक पहुँचने के लिए ऐम्ब्युलन्स भी नहीं थी। किसी तरह एक कार का जुगाड़ किया लेकिन एयर बेस के मेडिकल सेंटर पर सिर्फ पेन किलर और मरहम पट्टी हो पाई। सात बजे सेना की बख़्तरबंद गाड़ी में शैलभ को एयर बेस से पठानकोट मिलिटेरी अस्पताल शिफ़्ट किया गया। उसी दिन ऑपरेशन हुआ जो करीब पांच घंटे चला।
तीन जनवरी को होश आया तो डॉक्टर ने बताया कि पेट में चार गोलियां लगी थी जिसके चलते आंत का एक हिस्सा काटना पड़ा। पेट में करीब तीन लिट्टे ख़ून रिस चुका था, डॉक्टर हैरान थे, शैलभ ऐसी हालत में मोर्चे पर कैसे डटा रहा। ऑपरेशन के बाद अब शैलभ अंबाला के अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। जल्द ही उनका फिटनेस टेस्ट होगा और शैलभ को उम्मीद है कि वह अपनी युनीट जॉइन कर पाएंगे।
शैलभ की यूनिट आदमपुर में तैनात थी जिसे एक जनवरी को पठानकोट कूच करने का आदेश मिला। एयरबस पर आतंकी ख़तरा मंडरा रहा था और उनकी कमांडो टुकड़ी को वेहिकल मेंटेनेन्स एरिया में कुछ मूवमेंट की ख़बर मिली। कंटीली तार से निकल कर कमांडो दस्ता जैसे ही भीतर दाखिल हुआ, भीतर छिपे बैठे आतंकियों ने एके 47, ग्रेनेड और मोर्टर से हमला बोल दिया।
डेढ़ घंटे चली मुठभेड़
फायरिंग में आगे चल रहे कमांडो गुरसेवक सिंह को गोली लगी और वह नीचे गिर गए। शैलभ को भी एहसास हुआ की कोई चीज़ उन्हें चुभी है, लेकिन भारी फायरिंग के बीच चेक करने का मौका नहीं था। शैलभ बताते हैं कि गुरसेवक उनके सबसे अच्छे दोस्त थे, दोनो ने एक साथ एयर फोर्स जोईन की थी। मुठभेड़ को करीब डेढ़ घंटे हो चुके थे, अब आतंकियों की फायरिंग की आवाज़ दूर से आने लगी थी। शैलभ की कमांडो टुकड़ी ने राहत की सांस ली, आतंकी टेक्निकल एरिया की तरफ जाने में नाकाम रहे। यहां फाइटर जेट और रडार रखे गए थे जिनकी सुरक्षा हर हाल में ज़रूरी थी।
सुबह के पांच बज चुके थे, शैलभ की हालत बिगड़ रही थी, अपने साथी को लेकर वो पास के बैरक़ में गए और चेक किया तो पता चला की गोलियाँ लगी हैं। डॉक्टर तक पहुँचने के लिए ऐम्ब्युलन्स भी नहीं थी। किसी तरह एक कार का जुगाड़ किया लेकिन एयर बेस के मेडिकल सेंटर पर सिर्फ पेन किलर और मरहम पट्टी हो पाई। सात बजे सेना की बख़्तरबंद गाड़ी में शैलभ को एयर बेस से पठानकोट मिलिटेरी अस्पताल शिफ़्ट किया गया। उसी दिन ऑपरेशन हुआ जो करीब पांच घंटे चला।
तीन जनवरी को होश आया तो डॉक्टर ने बताया कि पेट में चार गोलियां लगी थी जिसके चलते आंत का एक हिस्सा काटना पड़ा। पेट में करीब तीन लिट्टे ख़ून रिस चुका था, डॉक्टर हैरान थे, शैलभ ऐसी हालत में मोर्चे पर कैसे डटा रहा। ऑपरेशन के बाद अब शैलभ अंबाला के अपने घर पर स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं। जल्द ही उनका फिटनेस टेस्ट होगा और शैलभ को उम्मीद है कि वह अपनी युनीट जॉइन कर पाएंगे।
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