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This Article is From Mar 18, 2015

आखिर कब टूटेगी ये दीवार, जारी है 'आप' में खींचतान

Parimal Kumar, Vandana Verma
  • India,
  • Updated:
    मार्च 18, 2015 15:56 pm IST
    • Published On मार्च 18, 2015 13:00 pm IST
    • Last Updated On मार्च 18, 2015 15:56 pm IST

आम आदमी पार्टी में जारी विवाद कम होता नहीं दिख रहा है। आज ऐसी खबरें आईं कि प्रशांत भूषण ने केजरीवाल को चिट्ठी लिखकर शर्तों के साथ सभी पदों से इस्तीफ़े की पेशकश की है, लेकिन एनडीटीवी ने जब प्रशांत भूषण से इस बारे में फोन बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी चिट्ठी से साफ़ इनकार किया।

केजरीवाल को बेंगलुरु से लौटे दो दिन हो गए हैं और अभी तक आम आदमी पार्टी बिखरी हुई दिख रही है। सवाल ये है कि आखिर योगेन्द्र-प्रशांत और केजरीवाल के बीच खड़ी ये दीवार कब टूटेगी, क्या पार्टी ने इस संकट से उबरने का कोई फ़ॉर्मूला तय किया है। फिलहाल पार्टी के नेता इन तमाम मुद्दों पर कुछ भी खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं।

योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण से मतभेद दूर करने की कवायद में जुटी आम आदमी पार्टी ने इस बात का इशारा जरूर किया कि गतिरोध खत्म होने की दिशा में है। मिलने-जुलने और रास्ता निकालने का दौर चल रहा है, लेकिन नतीजा निकलने का इंतजार करना होगा।

सोमवार देर रात योगेंद्र यादव ने आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, आशुतोष, कुमार विश्वास और आशीष खेतान को मिलने का वक्त जरूर दिया, लेकिन प्रशांत भूषण नकार गए। वह सीधे अरविंद केजरीवाल से मिलना चाहते हैं। मान मन्नौवल का दौर तो चल रहा है, लेकिन मामला ठंडा पड़ता नहीं दिख रहा।

हालांकि योगेंद्र यादव ने भी संकेत दिए कि बातचीत सही दिशा में बढ़ रही है, लेकिन यहां सिर्फ योगेंद्र यादव की बात नहीं, पार्टी प्रशांत को भला शांत कैसे कर पाएगी? जब प्रशांत भूषण से बातचीत ही नहीं हो पा रही तो गतिरोध कैसे खत्म होगा। पीएसी की बैठक के बाद पार्टी नेता संजय सिंह इस बात से इनकार कर गए कि प्रशांत ने मिलने का वक्त नहीं दिया। तो फिर सवाल उठता है कि प्रशांत से अब तक मुलाकात क्यों नहीं? जब योगेंद्र यादव से मैराथन मीटिंग तकरीबन 3 घंटे चलती है और इस बात की पुष्टि आम आदमी पार्टी के नेता भी करते हैं। बयान भी मीडिया में आता है। ऐसे प्रशांत से बातचीत को लेकर अब तक कोई सुगबुगाहट क्यों नहीं। कोई बयानबाजी क्यों नहीं?

दरअसल, सच्चाई तो यही है कि आम आदमी पार्टी प्रशांत को मिलने के लिए मना नहीं पाई। बातचीत होने पर ही गिले शिकवे दूर हो सकते हैं। कोई रास्ता निकल सकता है। ऐसे में हो सकता है कि योगेंद्र को लेकर बात बन भी जाए, लेकिन प्रशांत बिना केजरीवाल से मिले, लगता नहीं कि मानने वाले हैं।

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