केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मुंबई हमले के मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा आतंकी जकी-उर रहमान लखवी के रिहा होने पर कड़ी आपत्ति जताई है।
गृह मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान को इस बात का अहसास होना चाहिए कि आतंकवादी अच्छे या बुरे नहीं होते। मुंबई हमले के आरोपी लखवी के खिलाफ काफी सबूत हैं, जो कि पाकिस्तान को दिए गए हैं, लेकिन पाकिस्तानी एजेंसियों ने उन्हें सार्थक तरीके से कोर्ट में नहीं रखा। यह पाकिस्तान की सरकार की जिम्मेदारी है कि लखवी के खिलाफ कड़े कानूनी कदम उठाए जाएं ताकि वह जेल से बाहर नहीं आ सके।
गृह मंत्रालय की जानकारी के मुताबिक, लखवी का नाम 26 नवंबर को हुए मुंबई हमले के उन सात आतंकियों में शामिल है, जिस पर हमले की साजिश रचने और उसमें मदद करने का आरोप है।
लखवी के अलावा इसमें पाकिस्तान में ऑपरेट होने वाले लश्कर के आतंकी हम्माद अमीन सादिक, युनूस अंजुम, शाहिद जमील रियाज, जमिल अहमद, मजहर इकबाल और अब्दुल मजिद का नाम शामिल है। पाकिस्तान की फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) ने मुंबई हमले के दौरान भारत में गिरफ्तार किए गए आतंकी अजमल कसाब के बयान के आधार पर लखवी को फरवरी 2009 में गिरफ्तार किया था।
25 नवंबर, 2009 को दायर चार्जशीट के अनुसार, लखवी लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर है और मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है। उस पर मुंबई हमलों को अंजाम देने वाले 10 आतंकियों को ट्रेनिंग दिलाने और हथियार मुहैया कराने का आरोप है। इस हमले 166 लोगों की मौत हुई थी।
उधर, राज्यसभा में इस मामले को लेकर हंगामा हुआ है। लखवी को जमानत दिए जाने के मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए राज्यसभा में सदस्यों ने कहा कि मुंबई हमले के दोषियों को सजा देने के मुद्दे पर पाकिस्तान अपना वादा पूरा नहीं कर रहा है, हालांकि राज्यसभा सभापति पीजे कुरियन ने इस मुद्दे पर चर्चा से पहले सदस्यों नोटिस देने को कहा।
राज्य गृहमंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि पाकिस्तान को अपनी आपत्ति भारत दर्ज़ करवा चुका है। पाकिस्तान सरकार सही ढंग से सबूत कोर्ट के आगे नहीं रख रही है ये दुःख की बात है।
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