नई दिल्ली:
इस्लामाबाद में नवंबर में होने जा रहे दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) शिखर सम्मेलन में भारत के भाग नहीं लेने के फैसले को पड़ोसी देशों बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान से समर्थन मिला है, और सूत्रों के मुताबिक इन देशों ने भी सम्मेलन में शिरकत नहीं करने का निर्णय किया है.
सूत्रों ने बताया कि सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को भेजे संदेश में बांग्लादेश ने कहा, "बांग्लादेश के अंदरूनी मामलात में एक देश द्वारा बढ़ते दखल ने ऐसा माहौल पैदा कर दिया है, जिसकी वजह से नवंबर, 2016 में इस्लामाबाद में 19वें सार्क शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन मुमकिन नहीं है..."
MFN : क्या हैं इसके मायने और पाकिस्तान से यह दर्जा छीनना क्या नफे का सौदा है?
संदेश में कहा गया, "सार्क, या दक्षेस की प्रक्रिया की शुरुआत करने वालो में शामिल रहे बांग्लादेश की क्षेत्रीय सहयोग तथा संपर्क में प्रतिबद्धता हमेशा मजबूत रही है, लेकिन उसका मानना है कि यह अधिक सौहार्दपूर्ण माहौल में ही आगे बढ़ सकता है. इस विचार के चलते बांग्लादेश इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में शिरकत करने में असमर्थ है..."
सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान ने भी यही वजह बताते हुए शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. सार्क सम्मेलन का इस साल कई देशों द्वारा बहिष्कार किए जाने से पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की कोशिशों को बल मिला है.
बता दें कि यह सम्मेलन तब तक नहीं हो सकता, जब तक इसके सभी सदस्य देश शामिल नहीं होते. वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है कि सार्क सम्मेलन रद्द हुआ हो, ऐसा पहले भी हुआ है और कई बार सार्क सम्मेलन देर से भी हुए हैं. लेकिन इस बार आसार नहीं लग रहे कि देर से भी इस साल ये सम्मेलन हो सकता है.
इससे पहले भारत सरकार ने मंगलवार को घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नंवबर में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान नहीं जाएंगे. 'सीमा पार से जारी आंतकी हमले' से पैदा वातावरण आठ राष्ट्रों के इस समूह के सम्मेलन के लिए 'अनुकूल नहीं' है.
प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के लिए पिछले दिनों कई कदम उठा चुके हैं. उन्होंने दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण 'सिंधु जल समझौते' की समीक्षा की, जो कि भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों के संसाधनों के बंटवारे के लिए है. पीएम मोदी ने कहा कि 'खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते.' इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया कि भारत अपने हिस्से के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करेगा, जिससे पाकिस्तान को अब तक मिल रहा अधिक पानी आगे नहीं मिले.
सूत्रों ने बताया कि सार्क के मौजूदा अध्यक्ष नेपाल को भेजे संदेश में बांग्लादेश ने कहा, "बांग्लादेश के अंदरूनी मामलात में एक देश द्वारा बढ़ते दखल ने ऐसा माहौल पैदा कर दिया है, जिसकी वजह से नवंबर, 2016 में इस्लामाबाद में 19वें सार्क शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन मुमकिन नहीं है..."
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संदेश में कहा गया, "सार्क, या दक्षेस की प्रक्रिया की शुरुआत करने वालो में शामिल रहे बांग्लादेश की क्षेत्रीय सहयोग तथा संपर्क में प्रतिबद्धता हमेशा मजबूत रही है, लेकिन उसका मानना है कि यह अधिक सौहार्दपूर्ण माहौल में ही आगे बढ़ सकता है. इस विचार के चलते बांग्लादेश इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में शिरकत करने में असमर्थ है..."
सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान ने भी यही वजह बताते हुए शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होने का फैसला किया है. सार्क सम्मेलन का इस साल कई देशों द्वारा बहिष्कार किए जाने से पाकिस्तान को अलग-थलग करने की भारत की कोशिशों को बल मिला है.
बता दें कि यह सम्मेलन तब तक नहीं हो सकता, जब तक इसके सभी सदस्य देश शामिल नहीं होते. वैसे ये पहला मौक़ा नहीं है कि सार्क सम्मेलन रद्द हुआ हो, ऐसा पहले भी हुआ है और कई बार सार्क सम्मेलन देर से भी हुए हैं. लेकिन इस बार आसार नहीं लग रहे कि देर से भी इस साल ये सम्मेलन हो सकता है.
इससे पहले भारत सरकार ने मंगलवार को घोषणा की थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नंवबर में होने वाले सार्क सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए पाकिस्तान नहीं जाएंगे. 'सीमा पार से जारी आंतकी हमले' से पैदा वातावरण आठ राष्ट्रों के इस समूह के सम्मेलन के लिए 'अनुकूल नहीं' है.
प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान को सख्त संदेश देने के लिए पिछले दिनों कई कदम उठा चुके हैं. उन्होंने दोनों देशों के बीच महत्वपूर्ण 'सिंधु जल समझौते' की समीक्षा की, जो कि भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों के संसाधनों के बंटवारे के लिए है. पीएम मोदी ने कहा कि 'खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते.' इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया कि भारत अपने हिस्से के पानी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करेगा, जिससे पाकिस्तान को अब तक मिल रहा अधिक पानी आगे नहीं मिले.
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