नई दिल्ली:
उत्तर-पश्चिमी भारत में मॉनसून के पहुंचने में देरी का असर ज़मीन पर साफ दिखने लगा है। कृषि मंत्रालय के पास मौजूद ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक 26 जून तक धान की बुआई औसत से 12.4 लाख हेक्टेयर कम हुई है।
यूपी-बिहार में कमज़ोर मॉनसून से सबसे कम बुआई हुई है जबकि असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पंजाब में भी मॉनसून देर से पहुंचने से बुआई पर बुरा असर पड़ा है। हालांकि कृषि मंत्रालय को आने वाले हफ्तों में मॉनसून में सुधार से धान की बुआई में सुधार की उम्मीद है।
सरकार के लिए फिलहाल राहत की खबर ये है कि दलहन की बुआई 5 लाख हेक्टेयर ज़्यादा हुई है। ऐसे ही तिलहन भी करीब 21 लाख हेक्टेयर ज्यादा में बोई गई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि जुलाई महीने में पिछले दस साल के औसत का 92 फीसदी बारिश का अनुमान है। यानी बारिश औसत से काफी कम हो सकती है और इसका सीधा असर खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ेगा।
मौसम विभाग के डायरेक्टर बी.पी. यादव ने एनडीटीवी से कहा, 'अगले 5-6 दिन में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान और गुजरात में बारिश कम होगी।' ये महत्वपूर्ण है कि जुलाई में मॉनसून की 33 फीसदी बारिश होती है, ऐसे में अगर कम बारिश की भविष्यवाणी सही निकली तो सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
यूपी-बिहार में कमज़ोर मॉनसून से सबसे कम बुआई हुई है जबकि असम, छत्तीसगढ़, ओडिशा और पंजाब में भी मॉनसून देर से पहुंचने से बुआई पर बुरा असर पड़ा है। हालांकि कृषि मंत्रालय को आने वाले हफ्तों में मॉनसून में सुधार से धान की बुआई में सुधार की उम्मीद है।
सरकार के लिए फिलहाल राहत की खबर ये है कि दलहन की बुआई 5 लाख हेक्टेयर ज़्यादा हुई है। ऐसे ही तिलहन भी करीब 21 लाख हेक्टेयर ज्यादा में बोई गई है। मौसम विभाग का अनुमान है कि जुलाई महीने में पिछले दस साल के औसत का 92 फीसदी बारिश का अनुमान है। यानी बारिश औसत से काफी कम हो सकती है और इसका सीधा असर खरीफ फसलों की बुआई पर पड़ेगा।
मौसम विभाग के डायरेक्टर बी.पी. यादव ने एनडीटीवी से कहा, 'अगले 5-6 दिन में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान और गुजरात में बारिश कम होगी।' ये महत्वपूर्ण है कि जुलाई में मॉनसून की 33 फीसदी बारिश होती है, ऐसे में अगर कम बारिश की भविष्यवाणी सही निकली तो सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
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