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This Article is From Dec 21, 2014

गुजरात के वलसाड में फिर धर्म परिवर्तन से उठा नया विवाद

गुजरात के वलसाड में फिर धर्म परिवर्तन से उठा नया विवाद
धर्मांतरण की फाइल तस्वीर
वलसाड (गुजरात):

विश्व हिन्दू परिषद् ने शनिवार को वलसाड जिले के अरनाई गांव में संस्कारों का आयोजन कर 200 से ज्यादा ईसाई आदिवासियों का 'पुनर्धर्मांतरण' कर उन्हें हिन्दू बनाए जाने का दावा किया। ऐसा दावा संगठन के एक स्थानीय नेता ने किया है। दक्षिणपंथी संगठन ने यह भी कहा कि पुनर्धर्मांतरण 'ऐच्छिक' था इसमें बल प्रयोग नहीं किया गया था।

विहिप के वलसाड जिले के प्रमुख नातु पटेल ने बताया, ''फिलहाल चल रहे 'घर वापसी' अभियान के तहत विहिप ने ईसाई समुदाय के 225 लोगों को आज वापस हिन्दू धर्म में लिया।' उन्होंने बताया कि विहिप ने आदिवासियों की हिन्दू धर्म में वापसी से पहले उनके 'शुद्धिकरण' के लिए एक 'महायज्ञ' का आयोजन किया था। विहिप के अन्य कार्यकर्ता अशोक शर्मा ने बताया कि 'घर वापसी' कार्यक्रम में करीब 3,000 लोगों ने भाग लिया।

लेकिन महत्वपूर्ण है कि गुजरात में 2003 में बने धर्मांतरण विरोधी कानून जिसे, धार्मिक स्वतंत्र्य कानून कहा जाता है, उसके मुताबिक किसी भी एक धर्म से दूसरे धर्म में धर्मांतरण कराने से पहले जिला कलेक्टर से पूर्व मंजूरी आवश्यक है। ऐसा न करने पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है। लेकिन, इस मामले में जिला कलेक्टर से कोई अनुमति नहीं ली गई थी।

साफ है कि इस घटना से विवाद उठेगा ही। उधर, ईसाई संगठनों ने इस कार्यक्रम की भर्त्सना की है। उनका आरोप है कि जबरन आदिवासियों का धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है।

इधर, गुजरात सरकार इस मामले से अपना पल्ला झाड़ रही है। गुजरात सरकार के प्रवक्ता नितिन पटेल ने कहा है कि उन्हें अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है। और अगर जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायत मिलेगी तब इस मामले में कार्रवाई पर विचार करेंगे।

गुजरात में 1999 से ही ईसाई धर्म से जुड़े आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का मामले ने तूल पकड़ा हुआ है। ईसाई संगठनों का आरोप है कि 1995 में राज्य में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ऐसी घटनाओं ने जोर पकड़ा है।

(इनपुट भाषा और एनडीटीवीडॉटकॉम से भी)

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