
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के उस कथित बयान के चलते संसद में हंगामे के आसार हैं। मीडिया में आई रिपोर्टों के अनुसार भागवत ने कथित रूप से कहा था कि मदर टेरेसा की गरीबों की सेवा के पीछे का मुख्य उद्देश्य ईसाई धर्म में धर्मांतरण कराना था। वहीं, आरएसएस की ओर से ट्वीट के जरिये इस बात का खंडन किया गया है। आरएसएस का कहना है कि यह बयान बीएसएफ के पूर्व डीजी ने दिया था, भागवत ने नहीं। पीटीआई की खबर के अनुसार मोहन भागवत ने ऐसा बयान दिया है।
वहीं, कथित रूप से भागवत के इस बयान के विरोध में कांग्रेस पार्टी ने कम कस ली है। दिग्विजय सिंह ने तो ट्वीट कर बयान की निंदा तक की है। पार्टी प्रमुख सोनिया गांधी इस संबंध में कांग्रेस सांसदों की एक बैठक ले रही हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत के मदर टेरेसा को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह एक महान इंसान थी और उन्हें बख्श दिया जाना चाहिए।
केजरीवाल ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए लिखा, "मैंने कुछ महीने कोलकाता स्थित निर्मल हृदय आश्रम में मदर टेरेसा के साथ काम किया है। वह महान इंसान थीं, उन्हें बख्श दिया जाए।"
बता दें कि गैर-सरकारी संगठन 'अपना घर' की ओर से आयोजित समारोह में भागवत ने कथित रूप से कहा, "मदर टेरेसा की सेवा अच्छी रही होगी। परंतु इसमें एक उद्देश्य हुआ करता था कि जिसकी सेवा की जा रही है उसका ईसाई धर्म में धर्मांतरण किया जाए।"
रिपोर्टों के अनुसार उन्होंने कहा, सवाल सिर्फ धर्मांतरण का नहीं है, लेकिन अगर यह (धर्मांतरण) सेवा के नाम पर किया जाता है, तो सेवा का मूल्य खत्म हो जाता है। भागवत ने कहा, "परंतु यहां (एनजीओ) उद्देश्य विशुद्ध रूप से गरीबों और असहाय लोगों की सेवा करना है।"
सरसंघचालक भरतपुर से करीब आठ किलोमीटर दूर बजहेरा गांव में एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। गांव में उन्होंने 'महिला सदन' और 'शिशु बाल गृह' का उद्घाटन किया।
(इनपुट्स पीटीआई से भी)
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