इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में निलंबित आईपीएस अधिकारी पीपी पांडे को सीबीआई की एक अदालत द्वारा जमानत दिए जाने के चार दिनों के बाद गुजरात सरकार ने आज उनके निलंबन को रद्द कर दिया और उन्हें सेवा में बहाल कर दिया।
राज्य के गृह मंत्रालय की ओर से जारी एक आदेश के मुताबिक, राज्य सरकार ने पीपी पांडे के निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है और उन्हें गुजरात राज्य के गांधीनगर में (कानून और व्यवस्था) अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक के खाली पड़े पद पर तैनात किया गया है।'
जुलाई 2013 में जब सीबीआई ने पांडे को गिरफ्तार किया था उस समय वह एडीजीपी-सीआईडी (अपराध) थे और बाद में उन्हें एक अदालत में पेश किया गया था।
साल 2004 के इशरत जहां फर्जी मुठभेड़ मामले में सीबीआई की एक विशेष अदालत ने पांच फरवरी को पांडे और तीन अन्य को जमानत दे दी थी।
गौरतलह है कि 15 जून, 2004 को शहर के बाहरी इलाके में एक मुठभेड़ में अहमदाबाद अपराध शाखा के अधिकारियों ने मुंबई की 19 वर्षीय छात्रा इशरत जहां, प्रनेश पिल्लै उर्फ जावेद शेख, अमजद अली राना और जीशान जौहर की कथित रूप से हत्या करने की घटना के समय पांडेय संयुक्त पुलिस आयुक्त थे।
सीबीआई का कहना है कि यह फर्जी मुठभेड़ थी, जिसकी साजिश गुजरात पुलिस और आईबी ने संयुक्त रूप से रची थी।
इस मामले की सुनवाई के दौरान, पांडेय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता निरुपम नानावती ने कहा कि इस मामले में एक अन्य आईपीएस अधिकारी सतीश वर्मा के इशारे पर उनके मुवक्किल पर मामला दर्ज किया गया।
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