खबर है कि जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी के साथ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से मिलने वाली हैं. (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: आगामी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान विपक्षी दलों की तरफ से एक साझा उम्मीदवार खड़ा करने की कवायद तेज़ हो गई है. खबर है कि जल्द ही कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी से मिलने वाली हैं. आने वाले दिनों में उनकी बसपा प्रमुख मायावती से भी मुलाकात संभव है. डीएमके नेता एमके स्टालिन से भी मुलाकात होने की चर्चा है.
दरअसल, पिछले कुछ हफ्तों में सोनिया गांधी खुद विपक्ष के बड़े नेताओं के साथ व्यक्तिगत संपर्क साध चुकी हैं. पिछले कुछ दिनों में सोनिया बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई नेता डी राजा और एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार से बात कर चुकी हैं और उन्होंने मुलायम और लालू से भी फोन पर बात की है.
इस दौरान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी शरद पवार, अखिलेश यादव और सीताराम येचुरी से बात कर चुके हैं.
सोमवार को ही कांग्रेस, सीपीएम, एनसीपी, जेडीयू समेत कई अहम विपक्षी दल के नेता दिल्ली में एक ही मंच पर दिखे. हालांकि मौका था सोशलिस्ट लीडर मधु लिमये की 95वीं जन्मदिन समारोह के उपलक्ष्य में एक विशेष कार्यक्रम का. हाल के दिनों में ये पहला ऐसा मौका था जब नेताओं ने एक ही मंच पर जमा होकर विपक्षी एकता को मज़बूत करने का सवाल उठाया. ये तय किया गया है कि सोनिया गांधी व्यक्तिगत तौर पर पहले विपक्ष के सभी बड़े नेताओं से बात करेंगी. आगे अगर एक साझा ज़मीन तैयार करने की संभावना बनती है तो विपक्षी नेताओं की बैठक भी हो सकती है.
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ये कहा चुके हैं कि आगामी राष्ट्रपति चुनाव विपक्ष को एक ही मंच पर लाने की पहली
बड़ी शुरुआत है. सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने एनडीटीवी से कहा है कि कई नामों पर चर्चा चल रही है...लेकिन फिलहाल किसी भी प्रस्तावित नाम पर चर्चा करना जल्दबाज़ी होगी.
एनडीटीवी से बातचीत में जेडीयू के प्रधान महासचिव केसी त्यागी ये कह चुके हैं कि एनसीपी नेता शरद पवार विपक्ष की तरफ से एक सशक्त साझा उम्मीदवार हो सकते हैं. हालांकि केसी त्यागी ने ये भी साफ किया कि उम्मीदवार के नाम के बारे में कोई भी फैसला विपक्ष के बड़े नेता बैठक कर ही आगे तय कर सकते हैं.
दरअसल, राष्ट्रपति चुनाव ये आंकने का पहला एसिड टेस्ट होगा कि विपक्षी दल किस हद तक आपसी मतभेद को छोड़कर एक ही मंच पर आने में कामयाब हो पाते हैं. कई राज्यों में एक-दूसरे के सामने खड़े विपक्ष दलों के सामने यही सबसे बड़ी चुनौती होगी.