राज्यसभा में रविवार को कृषि संबंधी विधेयकों (Farm bills) को पारित कराने के केंद्र सरकार के तरीके पर विपक्ष ने नाराजगी जताई है. 18 विपक्षी पार्टियों (Opposition Parties) ने बिलों को पास कराने के सरकार के तरीके को 'लोकतंत्र की हत्या' बताते हुए इस मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) को लेटर लिखा है. इस पत्र में 'महामहिम' से अनुरोध किया गया है कि वे दोनों प्रस्तएावित कानूनों पर हस्ताक्षर नहीं करे. इसके साथ ही सरकार ने ‘‘जिस तरीके से अपने एजेंडा को आगे बढ़ाया है'', उसके बारे में भी विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है.
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सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस, वाम दलों, एनसीपी, द्रमुक, सपा, टीएमसी और आरजेडी सहित विभिन्न दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति को भेजे ज्ञापन में मामले में उनसे हस्तक्षेप करने और विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का अनुरोध किया है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद ही विधेयक कानून बन सकता है.गौरतलब है कि एक तरफ जहां सरकार दोनों विधेयकों को कृषि क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार बता रही है, वहीं विपक्ष ने इस विधेयकों को किसान विरोधी करार दिया है. राज्यसभा ने रविवार को भारी हंगामे के बीच दोनों विधेयकों को ध्वनिमत से पारित कर दिया. दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों ने मत विभाजन की मांग नहीं माने जाने पर सदन में भारी हंगामा किया. वे कोविड-19 दिशानिर्देशों की अनदेखी करते हुए आसन के बिल्कुल पास आ गए थे और उपसभापति हरिवंश की ओर कागज भी फेंके थे.
सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा में रविवार को जिस तरह से विधेयकों को पारित किया गया, उसे विपक्षी दलों ने सत्तारूढ़ बीजेपी द्वारा ‘‘लोकतंत्र की हत्या'' करार दिया. विपक्षी दलों ने मिलने के लिए राष्ट्रपति से समय भी मांगा है. संभवत: मंगलवार को यह बैठक हो सकती है. शिरोमणि अकाली दल नेतृत्व सोमवार को राष्ट्रपति से अलग से मुलाकात करेगा और उनसे विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने का अनुरोध करेगा. सूत्रों ने कहा कि विपक्षी नेताओं का ज्ञापन राष्ट्रपति को भेज दिया गया है. समझा जाता है कि कांग्रेस सांसद और मशहूर वकील अभिषेक सिंघवी ने ज्ञापन तैयार किया है. विपक्ष का दावा है कि दोनों विधेयक किसानों के हितों के खिलाफ हैं और इसमें खेती के कॉरपोरेट हाथों में जाने की आशंका है. विपक्षी नेताओं का यह भी दावा है कि यह कृषि क्षेत्र के लिए ‘‘मौत का फरमान'' साबित होगा. सरकार का कहना है कि इस कानून के तहत किसानों को अपनी उपज की बिक्री के लिए कोई उपकर या शुल्क नहीं देना होगा. (भाषा से भी इनपुट)
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