दिल्ली में किसानों के मार्च में विपक्ष की एकजुटता का प्रदर्शन.
नई दिल्ली:
किसान मुक्ति मार्च शुक्रवार को भले ही दिल्ली के जंतर मंतर पर खत्म हो गया, लेकिन इसकी आंच लंबे समय तक बरकरार रहेगी.करीब 21 राजनीतिक दल किसानों के मुद्दे पर एक साथ दिखे. किसानों के मसले पर एकजुट हुए विपक्ष की मे अलग नीतियों और एजेंडे के बावजूद किसानों के साथ हर कोई खड़ा दिखा. इसमें कांग्रेस, लेफ्ट, सपा, आम आदमी पार्टी समेत युवा नेता कन्हैया और जिग्नेश भी किसानों के लिए खड़े नज़र आए. किसान नेता और स्वराज पार्टी के संयोजक योगेंद्र यादव ने कहा कि कानून का मसौदा बनाया तो 21 पार्टियों ने अब तक समर्थन दिया है. समर्थन देने वाली कई पार्टियों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया है.विपक्ष ही नहीं बीजीपी के सहयोगी दलों ने भी किसानों के इस आंदोलन को समर्थन दिया है.
किसानों को समर्थन देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पहुंचे. उन्होंने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि 15 अमीरों का मोदी सरकार ने साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये माफ किया, हम यहां सिर्फ न्याय की बात कर रहे हैं. अगर 15 लोगों का कर्जा माफ किया जा सकता है तो हिंदुस्तान के करोड़ो किसानों का कर्जा माफ किया जा सकता है.वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पीएम मोदी को सीधा संदेश दिया कि किसान भीख नहीं हक़ मांग रहे हैं. केजरीवाल ने कहा- मोदी जी अंबानी और अडानी की जितनी फिक्र करते हैं, उसका 10 प्रतिशत भी वह किसान के लिए तो कर दो नहीं तो फिर वोट मांगने मत जाना... अंबानी-अडानी से मांग लेना.
लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी ने भी केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की तुलना कौरवों से की. कहा कि इनको मिलकर हराना है. कर्ज में डूबकर 20 हज़ार से ज़्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं. 2014 में मोदी ने कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन 5 साल में क्या हुआ.बहरहाल,इन नेताओं के वादों पर किसानों को संभावनाएं भी दिखती हैं पर मन में आशंकाएं भी हैं. दिल्ली में जुटे किसानों में कश्मीर से कन्याकुमारी के बैकवर्ड , फॉर्वर्ड दलित हिंदू मुसलमान सभी हैं. अपने खेतों में ये किसान कहे जाते हैं लेकिन सियासत के खिलाड़ियों के लिए ये खड़ी फसलें हैं जिसमें राजनीतिक पार्टियां अपने अपने एजेंडे के मुताबिक अपना अपना हिस्सा चाहती हैं. संजीदगी से सोचिए इस देश में किसानों के लिए कब क्या और कितना किया गया,अगर ऐसा होता तो आज ये जंतर मंतर पर ना होते.
वीडियो- फोटो-किसान रैली में विपक्षी एकता का प्रदर्शन
किसानों को समर्थन देने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी पहुंचे. उन्होंने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा. राहुल गांधी ने कहा कि 15 अमीरों का मोदी सरकार ने साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये माफ किया, हम यहां सिर्फ न्याय की बात कर रहे हैं. अगर 15 लोगों का कर्जा माफ किया जा सकता है तो हिंदुस्तान के करोड़ो किसानों का कर्जा माफ किया जा सकता है.वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने पीएम मोदी को सीधा संदेश दिया कि किसान भीख नहीं हक़ मांग रहे हैं. केजरीवाल ने कहा- मोदी जी अंबानी और अडानी की जितनी फिक्र करते हैं, उसका 10 प्रतिशत भी वह किसान के लिए तो कर दो नहीं तो फिर वोट मांगने मत जाना... अंबानी-अडानी से मांग लेना.
लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी ने भी केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की तुलना कौरवों से की. कहा कि इनको मिलकर हराना है. कर्ज में डूबकर 20 हज़ार से ज़्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं. 2014 में मोदी ने कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन 5 साल में क्या हुआ.बहरहाल,इन नेताओं के वादों पर किसानों को संभावनाएं भी दिखती हैं पर मन में आशंकाएं भी हैं. दिल्ली में जुटे किसानों में कश्मीर से कन्याकुमारी के बैकवर्ड , फॉर्वर्ड दलित हिंदू मुसलमान सभी हैं. अपने खेतों में ये किसान कहे जाते हैं लेकिन सियासत के खिलाड़ियों के लिए ये खड़ी फसलें हैं जिसमें राजनीतिक पार्टियां अपने अपने एजेंडे के मुताबिक अपना अपना हिस्सा चाहती हैं. संजीदगी से सोचिए इस देश में किसानों के लिए कब क्या और कितना किया गया,अगर ऐसा होता तो आज ये जंतर मंतर पर ना होते.
वीडियो- फोटो-किसान रैली में विपक्षी एकता का प्रदर्शन
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