
नई दिल्ली:
भाजपा में मचे अंतर्कलह के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मानना है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी को अगर कांग्रेस को पटखनी देनी है तो ऐसा केवल गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में ही किया जा सकता है। उसका कहना है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की तरह मोदी में देश में भाजपा के वोट आधार को विस्तार देने की काबिलियत और करिश्मा है।
संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर के ताज़ा अंक में ‘राजनीतिक विशलेषण’ स्तंभ के तहत छपे लेख में कहा गया है, ‘कांग्रेस पार्टी का भाग्य तेजी से गिर रहा है लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का कांग्रेस के इस ह्रास का फायदा उठा पाना भी बहुत मुश्किल नजर आ रहा है।’ इसमें कहा गया कि मोदी भाजपा का ऐसा चेहरा हैं, जिनमें पार्टी की अपील और देश भर में उसके वोट आधार का विस्तार करने की वैसी क्षमता है जैसी अटल बिहारी वाजपेयी ने नब्बे के दशक में करके दिखाया था।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और पार्टी के चुनाव विश्लेषक जी वी एल नरसिम्हा राव के इस लेख में कहा गया है कि उत्तरप्रदेश में भाजपा की हालत खस्ता है लेकिन मोदी ही ऐसे नेता हैं जो वहां भी पार्टी को भारी बढत दिला सकते हैं।
पिछले कुछ दिनों से अचानक मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा रहा है। पार्टी की अंदरूनी उठापटक में उनका कद बढता नजर आ रहा है। हाल ही में मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को उनकी इस शर्त के आगे झुकना पड़ा था कि संजय जोशी को कार्यकारिणी से हटाया जाए।
लेख में दावा किया गया है कि मोदी भाजपा की कमजोर कडी वाले उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि ओड़िशा, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी पार्टी के वोट शेयर को इस हद तक बढाने में कामयाब रहेंगे कि भाजपा नीत राजग एक आकषर्क चुनाव पूर्व गठबंधन साझेदार के रूप में उभरकर सामने आएगा। राजनीतिक विश्लेषण में कहा गया कि 1996 और 1999 में भाजपा के सहयोगी दल मुख्यत: इसलिए बढ़े थे क्योंकि क्षेत्रीय दलों ने वोट आधार बढाने की वाजपेयी की क्षमता को स्वीकार किया था। इसमें कहा गया है, ‘मोदी की अगुवाई में यही फार्मूला भाजपा के पक्ष में जाएगा।’
लेख में मोदी का कद बार बार वाजपेयी जैसा बताये जाने और उनकी अगुवाई में अगला लोकसभा चुनाव लडने की जोरदार वकालत करते हुए कहा गया है, ‘‘केवल कांग्रेस की गिरती लोकप्रियता को भुनाने का प्रयास करना सत्ता की दौड में आधी नैया ही पार लगा पाएगा। केन्द्र में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए जरूरी है कि एक करिश्माई नेता को आगे बढाया जाए।’’ इसमें कहा गया है कि ऐसा नहीं किया गया तो भाजपा का सत्ता में आना मुश्किल होगा और किसी तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की संभावनाएं बढ़ेंगी।
लेख में मोदी के कद को बार बार वाजपेयी के जैसा बताने की कोशिश की गयी है हालांकि ये वाजपेयी ही थे जिन्होंने गुजरात दंगों के दौरान मोदी को ‘राजधर्म’ निभाने की नसीहत दी थी।
संघ के मुखपत्र आर्गेनाइजर के ताज़ा अंक में ‘राजनीतिक विशलेषण’ स्तंभ के तहत छपे लेख में कहा गया है, ‘कांग्रेस पार्टी का भाग्य तेजी से गिर रहा है लेकिन भाजपा के नेतृत्व वाले राजग का कांग्रेस के इस ह्रास का फायदा उठा पाना भी बहुत मुश्किल नजर आ रहा है।’ इसमें कहा गया कि मोदी भाजपा का ऐसा चेहरा हैं, जिनमें पार्टी की अपील और देश भर में उसके वोट आधार का विस्तार करने की वैसी क्षमता है जैसी अटल बिहारी वाजपेयी ने नब्बे के दशक में करके दिखाया था।
भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और पार्टी के चुनाव विश्लेषक जी वी एल नरसिम्हा राव के इस लेख में कहा गया है कि उत्तरप्रदेश में भाजपा की हालत खस्ता है लेकिन मोदी ही ऐसे नेता हैं जो वहां भी पार्टी को भारी बढत दिला सकते हैं।
पिछले कुछ दिनों से अचानक मोदी को भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया जा रहा है। पार्टी की अंदरूनी उठापटक में उनका कद बढता नजर आ रहा है। हाल ही में मुंबई में आयोजित राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को उनकी इस शर्त के आगे झुकना पड़ा था कि संजय जोशी को कार्यकारिणी से हटाया जाए।
लेख में दावा किया गया है कि मोदी भाजपा की कमजोर कडी वाले उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि ओड़िशा, हरियाणा, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में भी पार्टी के वोट शेयर को इस हद तक बढाने में कामयाब रहेंगे कि भाजपा नीत राजग एक आकषर्क चुनाव पूर्व गठबंधन साझेदार के रूप में उभरकर सामने आएगा। राजनीतिक विश्लेषण में कहा गया कि 1996 और 1999 में भाजपा के सहयोगी दल मुख्यत: इसलिए बढ़े थे क्योंकि क्षेत्रीय दलों ने वोट आधार बढाने की वाजपेयी की क्षमता को स्वीकार किया था। इसमें कहा गया है, ‘मोदी की अगुवाई में यही फार्मूला भाजपा के पक्ष में जाएगा।’
लेख में मोदी का कद बार बार वाजपेयी जैसा बताये जाने और उनकी अगुवाई में अगला लोकसभा चुनाव लडने की जोरदार वकालत करते हुए कहा गया है, ‘‘केवल कांग्रेस की गिरती लोकप्रियता को भुनाने का प्रयास करना सत्ता की दौड में आधी नैया ही पार लगा पाएगा। केन्द्र में पार्टी को सत्ता में लाने के लिए जरूरी है कि एक करिश्माई नेता को आगे बढाया जाए।’’ इसमें कहा गया है कि ऐसा नहीं किया गया तो भाजपा का सत्ता में आना मुश्किल होगा और किसी तीसरे मोर्चे की सरकार बनने की संभावनाएं बढ़ेंगी।
लेख में मोदी के कद को बार बार वाजपेयी के जैसा बताने की कोशिश की गयी है हालांकि ये वाजपेयी ही थे जिन्होंने गुजरात दंगों के दौरान मोदी को ‘राजधर्म’ निभाने की नसीहत दी थी।
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