महाराष्ट्र में सिर्फ 44 फीसदी स्वास्थ्यकर्मियों ने कोरोना वैक्सीन (Maharashtra Corona Vaccination) ली है, जो 55 फीसदी के राष्ट्रीय औसत से काफी कम है. मुंबई में तो सिर्फ 20 फीसदी पंजीकृत हेल्थवर्करों (Health workers) और फ्रंटलाइन वर्करों ने अभी तक टीका लिया है.
टीकाकरण की इस धीमी रफ्तार से चिंतित कई निजी अस्पतालों ने अपने स्टॉफ को सर्कुलर जारी कर कहा है कि अगर वे टीका नहीं लेते हैं और कोरोना की चपेट में आते डॉक्टर नहीं आते हैं तो उन्हें इलाज का खर्च खुद उठाना होगा. सर्कुलर के अनुसार, सभी कर्मचारियों को वैक्सीन लेनी है. जिसने भी बिना ज़रूरी स्वास्थ्य कारणों के समझाए नहीं लिया उन्हें कोरोना बीमारी से जुड़ी सेवाएं अस्पताल की ओर से नहीं मिल पाएंगी.
सर्कुलर जारी कर किया आगाह
पुणे के निजी अस्पताल में जारी सर्कुलर में ऐसी ही चेतावनी दी गई है. सर्कुलर के ज़रिये दबाव बनाने की इस कोशिश को आईएमए महाराष्ट्र ने सही ठहराया है. IMA ने कहा कि हेल्थवर्कर की काउंसिलिंग हुई फिर भी डर रहे हैं. बड़े डॉक्टर डॉ हम्ज़ा ने कहा कि वह एक महीना रुक कर वैक्सीन लेंगे.
वैक्सीन न लेने वालों को तीन कॉल
नेस्को जंबो सेंटर की डीन डॉ. नीलम अंद्राडे का कहना है कि वैक्सीन नहीं लेने वालों को तीन कॉल किए जा रहे हैं. तीनों कॉल के बाद भी डॉक्टर नहीं आए तो डिफ़ॉल्टर लिस्ट में जाएंगे. ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई तो नहीं होगी. अगर वैक्सीन सेंटर में आकर भी वो टीका लेने से मना करते हैं तो भी उनको बिना दबाव डाले जाने दिया जाएगा.
अस्पतालों का सर्कुलर जारी करना सही- आईएमए
आईएमए महाराष्ट्र के प्रवक्ता डॉ. अविनाश भोंडवे ने कहा कि पुणे के कुछ निजी अस्पतालों में ऐसा इंटर्नल सर्कुलर जारी हुआ है, जो बिल्कुल सही है, इन कर्मचारियों को अस्पतालों ने काउंसिलिंग कर समझाया है, उन सबको पता है कि वैक्सीन लेना सुरक्षित है, डॉक्टरों ने खुद लिया है, लेकिन फिर भी ये हेल्थ वर्कर नहीं लेना चाहते.
डॉक्टरों ने कहा, एक महीना इंतजार करेंगे
मुंबई के प्रसिद्ध डॉ हम्ज़ा सोलकर जैसे कई स्वास्थ्यकर्मी अभी तक वैक्सीन लेने के लिए भरोसा नहीं जुटा पाए हैं. सोलकर ने कहा, ‘मेरा नाम तो वैक्सीन के लिए पहले दिन ही आ गया था, लेकिन मैंने अभी तक वैक्सीन नहीं ली है, एक महीना क़रीब देखना चाहता हूं कि साइड इफ़ेक्ट आते हैं या नहीं. अभी तो इंडिया की वैक्सीन का थर्ड फ़ेज़ ट्रायल चल रहा है इसलिए मैंने लिया नहीं है.'
यूपी आगे, महाराष्ट्र फिसड्डी राज्यों मेंं
देश में 96 लाख रजिस्टर्ड हेल्थ केयर वर्कर में से 58 लाख यानी 60% को टीका लग चुका है, लेकिन महाराष्ट्र में रफ्तार काफी सुस्त है. महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा 10 लाख 54 हज़ार रजिस्टर्ड हेल्थ वर्कर में से अब तक 4 लाख 73 हज़ार को ही कोविड वैक्सीन लग पाई है यानी 44 फीसदी. यूपी पहली पायदान पर है, जहां 6 लाख 73 हज़ार वैक्सीन डोज़ लगाई जा चुकी हैं.
मुंबई की हालत तो और खराब
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai Corona Vaccination) में 3 लाख 60 हज़ार रजिस्टर्ड हेल्थकेयर और फ़्रंटलाइन वर्कर को मिलाकर देखें तो अब तक क़रीब 80,000 यानी 20% को ही टीका लग सका है. मुंबई के एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर कहते हैं कि धीरे धीरे झिझक ख़त्म हो रही है, सेंटर्स बढ़े हैं और जल्द तीसरे फ़ेज़ की शुरुआत होगी.
BMC ने कहा, झिझक दूर करेंगे
बीएमसी के एडिशनल म्यूनिसिपल कमिश्नर सुरेश ककानी ने कहा कि हमने शुरुआत में 9 सेंटर और 40 यूनिट बनाया था, उसे बढ़ा कर 21 सेंटर और 114 यूनिट बना दिया है ताकि ज़्यादा से ज़्यादा को वैक्सीन लगा सकें. शुरुआत में कुछ झिझक थी, वैसे वैसे लोगों की झिझक कम हो रही है. उन्होंने कहा कि मार्च मध्य तक टीकाकरण के तीसरे चरण की शुरुआत हो सकती है. इसमें 50 साल से ऊपर और दूसरी बीमारियों से ग्रसित लोगों को टीका लगना है, लेकिन लोगों की आशंकाएं दूर करने में प्रशासन और सरकार को और मेहनत करनी है.
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