प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना प्रधानमंत्री की सबसे महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक है लेकिन जब इसकी पड़ताल की तो पता चला कि कागजी खानापूर्ति और दफ्तरी औपचारिकताएं इसमें पलीता लगा रही हैं. यही वजह है कि 258 केंद्रों में से केवल 15 सेंटर ही चल रहे हैं जहां केवल 1000 नौजवान ट्रेनिंग ले रहे हैं.
विनोद रजौरा बीजेपी युवा मोर्चा से जुड़े रहे हैं और नरेंद्र मोदी से खासे प्रभावित रहे हैं. इसी के चलते जब प्रधानमंत्री ने नौकरी करने नहीं बल्कि नौकरी देने के लिए कहा तो इससे प्रभावित होकर एक कंपनी में एचआर मैनेजर की नौकरी छोड़कर प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र खोला. लेकिन कुछ सेंटरों में कमियों और बार-बार इंस्पेक्शन...जॉब रोल अलॉट होने में देरी के चलते उनकों केंद्र बंद करना पड़ा.
बुद्ध विहार के अपने बंद पड़े केंद्र को दिखाते हुए विनोद कहते हैं कि करीब बीस से तीस लाख का सामान बंद पड़ा है क्योंकि किराया देने के लिए उनके पास पैसे नहीं हैं. यही हाल राजू मनचंदा जैसे केंद्र संचालकों का है. दफ्तरी देरी और छोटी त्रुटियों के कारण बार-बार हो रहे इंस्पेक्शन के चलते पचास लाख का भारी भरकम इनवेस्टमेंट होने के बाद भी अब तक केंद्र शुरू नहीं हो पाया है.
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दरअसल प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का पहला चरण 2015-16 में खासी धांधली होने के चलते कई योजनाओं को दूसरे चरण में, कायदे कानून को सख्ती से लागू करवाया जा रहा है. साथ ही इसमें राज्य सरकारों को भी शामिल किया गया है. सरकारी सुस्ती के चलते कई बार महीनों लग जाते हैं जिससे एक अच्छी योजना को चलाने वालों में निराशा है. इस योजना के तहत सरकार केंद्र संचालकों को 30 फीसदी रकम छात्रों के दाखिले के बाद 50 फीसदी रकम कोर्स खत्म होने के बाद और बाकी बची 20 फीसदी रकम 70 फीसदी ट्रेंड छात्रों के प्लेसमेंट के बाद दी जाती है.
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नेशनल स्किल डेवलेपमेंट कारपोरेशन खुद मान रहा है कि 2016 से अब तक 94000 छात्रों को ट्रेंड किया जा चुका है लेकिन नौकरी मिली महज 51 फीसदी को यानी 47000 को. हालांकि केंद्र संचालक इस संख्या को भी ज्यादा बता रहे हैं.
केंद्र संचालक राजेश गोयल बताते हैं कि बाजार में मंदी की वजह से ट्रेंड छात्रों को नौकरी दिलाने में खासी दिक्कत होती है. यही वजह है कि किसी भी सेंटर को बीस फीसदी रकम आज तक नहीं मिली जो 70 फीसदी ट्रेंड छात्रों के प्लेसमेंट पर मिलनी चाहिए. उधर जिन छात्रों ने ट्रेनिंग की है उन्हें या तो बहुत दूर नौकरी का आफर दिया जाता है या वो नई नौकरी की आस में नए ट्रेड से कोर्स करने प्रधानमंत्री कौशल विकास केंद्र में पहुंच रहे हैं.
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ब्रांडिग पर भारी खर्चा
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना केंद्र में प्रधानमंत्री की फोटो और फ्लेक्स के आकार की गाइड लाइन का सख्ती से पालन करना है. प्रधानमंत्री की कौन सी तस्वीर कितने साइज और कितनी लगानी है इसमें भी अगर चूक हो गई तो केंद्र की मान्यता पर सवाल उठेंगे. इस तरह की गैर जरूरी शर्तों के चलते केंद्र का असली उद्देश्य नौजवानों को प्रशिक्षित करना और नौकरी दिलाने में दिक्कतें आती हैं.
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