अरविंद केजरीवाल की फाइल तस्वीर
नई दिल्ली:
एसीबी में बिहार और दूसरे राज्यों से कुछ अफ़सरों को शामिल करने का दिल्ली सरकार का फ़ैसला अब कई अड़चनें झेल रहा है। बिहार के एक अधिकारी ने दिल्ली आने से मना कर दिया है, तो यूपी अपने यहां अफ़सरों की कमी बता रहा है। इधर, गृह मंत्रालय ने साफ़ कर दिया कि है उपराज्यपाल की मंज़ूरी के बिना कोई नियुक्ति वैध नहीं मानी जाएगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग की जंग का असर हो या कुछ और, दिल्ली की एसीबी में बाहर से अफ़सरों को लाने का मामला संकट में पड़ता दिख रहा है। बिहार के अरवल के डीएसपी संजय भारती ने निजी वजहों से दिल्ली आने से इनकार कर दिया है। वैसे यह भी हकीकत है कि बिहार में पुलिस अफ़सरों के 30 फ़ीसदी पद ख़ाली हैं।
यूपी ने कह दिया है कि उसके यहां ख़ुद अफ़सरों का संकट है। लेकिन सिर्फ यूपी और बिहार में अफ़सरों की कमी की वजह से यह मामला खटाई में नहीं पड़ता दिख रहा, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का रुख़ भी इस मामले में सख़्त है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक एलजी की मंज़ूरी के बिना ये नियुक्तियां अवैध मानी जाएंगी और इन अफ़सरों की जांच की कोई कानूनी हैसियत नहीं होगी। यही नहीं, नियमों के मुताबिक नियुक्ति न होने से इनका वेतन भी रोका जा सकता है। केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि सब कुछ सर्विस रूल्स के मुताबिक होगा, अगर कानूनी तौर पर नियुक्ति सही नहीं हुई तो वो पुलिस वाले कार्रवाई कैसे करेंगे।"
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को वेतन भी सर्विस रूल्स के आधार पर ही मिलती है। ज़ाहिर है ऐसी स्थिति में अफ़सर ख़ुद को ऐसे टकराव से दूर ही रखना चाहेंगे। पूर्व गृह सचिव और अब बीजेपी सांसद आरके सिंह कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल सिर्फ राजनीति कर रहे हैं... बिहार से पुलिस वालों की मांग करने का कोई तर्क नहीं है, वहां पुलिस वाले वैसे ही कम हैं।
बिहार डीजीपी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि सभी अधिकारियों से मंजूरी लेने के बाद ही उनका दिल्ली एसीबी तबादला किया गया था। लेकिन बढ़ते विवाद के चलते अब सभी अफसर दिल्ली सरकार से दूर रहना चाहते हैं।
एक अधिकारी का कहना है कि यदि बिहार में चुनाव बाद बीजेपी की सरकार आती है तो उनके लिए मुसीबत बढ़ जाएगी।
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपराज्यपाल नजीब जंग की जंग का असर हो या कुछ और, दिल्ली की एसीबी में बाहर से अफ़सरों को लाने का मामला संकट में पड़ता दिख रहा है। बिहार के अरवल के डीएसपी संजय भारती ने निजी वजहों से दिल्ली आने से इनकार कर दिया है। वैसे यह भी हकीकत है कि बिहार में पुलिस अफ़सरों के 30 फ़ीसदी पद ख़ाली हैं।
यूपी ने कह दिया है कि उसके यहां ख़ुद अफ़सरों का संकट है। लेकिन सिर्फ यूपी और बिहार में अफ़सरों की कमी की वजह से यह मामला खटाई में नहीं पड़ता दिख रहा, बल्कि केंद्रीय गृह मंत्रालय का रुख़ भी इस मामले में सख़्त है।
गृह मंत्रालय के मुताबिक एलजी की मंज़ूरी के बिना ये नियुक्तियां अवैध मानी जाएंगी और इन अफ़सरों की जांच की कोई कानूनी हैसियत नहीं होगी। यही नहीं, नियमों के मुताबिक नियुक्ति न होने से इनका वेतन भी रोका जा सकता है। केंद्रीय गृह सचिव एलसी गोयल ने एनडीटीवी इंडिया को बताया कि सब कुछ सर्विस रूल्स के मुताबिक होगा, अगर कानूनी तौर पर नियुक्ति सही नहीं हुई तो वो पुलिस वाले कार्रवाई कैसे करेंगे।"
उन्होंने कहा कि अधिकारियों को वेतन भी सर्विस रूल्स के आधार पर ही मिलती है। ज़ाहिर है ऐसी स्थिति में अफ़सर ख़ुद को ऐसे टकराव से दूर ही रखना चाहेंगे। पूर्व गृह सचिव और अब बीजेपी सांसद आरके सिंह कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल सिर्फ राजनीति कर रहे हैं... बिहार से पुलिस वालों की मांग करने का कोई तर्क नहीं है, वहां पुलिस वाले वैसे ही कम हैं।
बिहार डीजीपी ने एनडीटीवी से बातचीत में कहा कि सभी अधिकारियों से मंजूरी लेने के बाद ही उनका दिल्ली एसीबी तबादला किया गया था। लेकिन बढ़ते विवाद के चलते अब सभी अफसर दिल्ली सरकार से दूर रहना चाहते हैं।
एक अधिकारी का कहना है कि यदि बिहार में चुनाव बाद बीजेपी की सरकार आती है तो उनके लिए मुसीबत बढ़ जाएगी।
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