विंग कमांडर पूजा ठाकुर (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
पिछले वर्ष अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत यात्रा के दौरान उनके सम्मान में दिए गए गार्ड ऑफ ऑनर की अगुवाई करने वाली विंग कमांडर पूजा ठाकुर ने भारतीय वायुसेना (IAF) के खिलाफ आर्म्ड फोर्स ट्रिब्यूनल में केस कर दिया है। वायुसेना द्वारा पूर्ण सेवा (फुल सर्विस) दिए जाने से इनकार के बाद उन्होंने यह कदम उठाया है।
विंग कमांडर पूजा ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें फुल सर्विस देने से इनकार करने का भारतीय वायुसेना का फैसला 'पूर्वाग्रह से प्रेरित, भेदभावपूर्ण, मनमाना और पूरी तरह से अनुचित है'। मामले में एयरफोर्स को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए गार्ड ऑफ ऑनर की अगुवाई करतीं पूजा ठाकुर।
पूजा के वकील का कहना है कि यह 'लिंगभेद से जुड़ा हुआ मामला नहीं है', बल्कि प्रक्रियागत मामला है। उनके वकील रिटायर्ड मेजर एस पांडे ने कहा, 'वायुसेना कह रही है कि 2012 में पूजा को स्थायी कमीशन ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अब उन्हें नया ऑफर नहीं दिया सकता।' वकील ने आगे कहा, 'उन्होंने (पूजा) इसलिए इनकार किया था क्योंकि वह उस समय ऐसा नहीं चाहती थीं।' उनके अनुसार यह निर्णय केवल अस्थायी था।
पिछले वर्ष गणतंत्र दिवस परेड के दौरान जब बराक ओबामा भारत आए थे तो उनके लिए ट्राई-सर्विसेस के गार्ड ऑफ ऑनर की अगुवाई करने वाली विंग कमांडर पूजा ठाकुर पहली महिला ऑफिसर थीं।
ओबामा ने बाद में एक कार्यक्रम में कहा था कि सशस्त्र बलों में 'असाधारण' भारतीय महिलाओं का दिखना, भारत में उन्हें नजर आईं उनकी 'पसंदीदा' चीजों में से एक रही। आर्मी कर्नल की बेटी राजस्थान की पूजा ने साल 2000 में भारतीय वायुसेना से ज्वाइन की थी।
पिछले महीने ही वायुसेना ने महिला फाइटर पायलट के पहले बैच को शामिल किया है, लेकिन उनकी नियुक्ति शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर के रूप में हुई है। इसका मतलब है कि वह अधिकतम 14 साल तक सेवा में रहेंगी और बिना किसी हितलाभ के रिटायर हो जाएंगी।
स्थायी कमीशन का मतलब होता कि महिला अधिकारियों को कम से कम 20 साल तक सेवा में रखें और उनको पेंशन मिले। उसके बाद जैसे जैसे प्रमोशन होगा वो आगे बढ़ सकती हैं।
सूत्रों के अनुसार, विंग कमांडर ठाकुर एक प्रशासनिक अधिकारी हैं और 'भारतीय वायुसेना की हरेक ब्रांच का महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का अलग मापदंड है।'
वायुसेना में महिलाओं को पूर्ण अधिकारी के रूप में शामिल होने देने की अनुमति 2010 में तब दी गई थी, जब 50 महिला अधिकारी (जिनमें 22 IAF से थीं) इस मामले में कोर्ट चली गईं थी। जब हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया, तब 250 से अधिक महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया।
विंग कमांडर पूजा ने अपनी याचिका में कहा है कि उन्हें फुल सर्विस देने से इनकार करने का भारतीय वायुसेना का फैसला 'पूर्वाग्रह से प्रेरित, भेदभावपूर्ण, मनमाना और पूरी तरह से अनुचित है'। मामले में एयरफोर्स को चार सप्ताह में जवाब देने को कहा गया है।
पूजा के वकील का कहना है कि यह 'लिंगभेद से जुड़ा हुआ मामला नहीं है', बल्कि प्रक्रियागत मामला है। उनके वकील रिटायर्ड मेजर एस पांडे ने कहा, 'वायुसेना कह रही है कि 2012 में पूजा को स्थायी कमीशन ऑफर किया गया था, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया। अब उन्हें नया ऑफर नहीं दिया सकता।' वकील ने आगे कहा, 'उन्होंने (पूजा) इसलिए इनकार किया था क्योंकि वह उस समय ऐसा नहीं चाहती थीं।' उनके अनुसार यह निर्णय केवल अस्थायी था।
पिछले वर्ष गणतंत्र दिवस परेड के दौरान जब बराक ओबामा भारत आए थे तो उनके लिए ट्राई-सर्विसेस के गार्ड ऑफ ऑनर की अगुवाई करने वाली विंग कमांडर पूजा ठाकुर पहली महिला ऑफिसर थीं।
ओबामा ने बाद में एक कार्यक्रम में कहा था कि सशस्त्र बलों में 'असाधारण' भारतीय महिलाओं का दिखना, भारत में उन्हें नजर आईं उनकी 'पसंदीदा' चीजों में से एक रही। आर्मी कर्नल की बेटी राजस्थान की पूजा ने साल 2000 में भारतीय वायुसेना से ज्वाइन की थी।
पिछले महीने ही वायुसेना ने महिला फाइटर पायलट के पहले बैच को शामिल किया है, लेकिन उनकी नियुक्ति शॉर्ट सर्विस कमीशन ऑफिसर के रूप में हुई है। इसका मतलब है कि वह अधिकतम 14 साल तक सेवा में रहेंगी और बिना किसी हितलाभ के रिटायर हो जाएंगी।
स्थायी कमीशन का मतलब होता कि महिला अधिकारियों को कम से कम 20 साल तक सेवा में रखें और उनको पेंशन मिले। उसके बाद जैसे जैसे प्रमोशन होगा वो आगे बढ़ सकती हैं।
सूत्रों के अनुसार, विंग कमांडर ठाकुर एक प्रशासनिक अधिकारी हैं और 'भारतीय वायुसेना की हरेक ब्रांच का महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का अलग मापदंड है।'
वायुसेना में महिलाओं को पूर्ण अधिकारी के रूप में शामिल होने देने की अनुमति 2010 में तब दी गई थी, जब 50 महिला अधिकारी (जिनमें 22 IAF से थीं) इस मामले में कोर्ट चली गईं थी। जब हाई कोर्ट ने उनके पक्ष में फैसला दिया, तब 250 से अधिक महिलाओं को स्थायी कमीशन दिया गया।
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