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This Article is From May 24, 2020

शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं: ओडिशा हाईकोर्ट

कोर्ट ने सवाल उठाए हैं कि क्या बलात्कार कानूनों का उपयोग अंतरंग शारीरिक संबंधों पर नियम लागू करने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं?

शादी का वादा करके शारीरिक संबंध बनाना रेप नहीं: ओडिशा हाईकोर्ट
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
ओडिशा हाईकोर्ट का बड़ा बयान
शादी के वादे पर बनाए गए शारीरिक संबंध रेप नहीं
ऐसे मामलों में रेप के कानूनों को लागू किए जाने पर सवाल
कटक:

ओडिशा उच्च न्यायालय (Odisha High Court) के एक जज ने एक अहम टिप्पणी की है कि शादी का वादा कर शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार के समान नहीं है. जस्टिस एसके पाणिग्रही ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि क्या बलात्कार कानूनों का उपयोग अंतरंग शारीरिक संबंधों पर नियम लागू करने के लिए किया जाना चाहिए, खासकर उन मामलों में जहां महिलाएं अपनी मर्जी से संबंध बनाती हैं?

जस्टिस पाणिग्रही ने एक निचली अदालत के गुरुवार के आदेश को दरकिनार कर दिया और बलात्कार के आरोपी की जमानत अर्जी को मंजूर करते हुए यह टिप्पणी की. मामला ओडिशा के कोरापुट जिले से पिछले साल नवंबर में 19 साल की आदिवासी महिला की शिकायत पर बलात्कार के आरोपों के तहत एक छात्र की गिरफ्तारी से जुड़ा था.

केस के रिकॉर्ड के अनुसार, उस युवक और उसी गांव की युवती के बीच करीब चार साल से शारीरिक संबंध थे. इस दौरान वह दो बार गर्भवती हुई थी. महिला ने बाद में एक पुलिस शिकायत दर्ज कराई जिसमें आरोप लगाया गया कि युवक ने उसकी मासूमियत का फायदा उठाते हुए उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे और शादी का वादा किया था.

महिला ने दावा किया था कि आरोपी ने उसे गर्भपात की गोलियों का सेवन करके गर्भ गिराने के लिए मजबूर किया था. पुलिस ने मामला दर्ज कर उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया, जो पिछले छह महीने से जेल में था. हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस शर्त पर उसकी जमानत अर्जी मंजूर कर ली कि वह जांच में सहयोग करेगा और कथित पीड़ित को धमकी नहीं देगा.

जस्टिस पाणिग्रही ने अपने 12 पेज के आदेश में बलात्कार कानूनों पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि 'बिना किसी आश्वासन के सहमति से भी संबंध बनाना साफ रूप से आईपीसी (Indian Penal Code) की धारा 376 (बलात्कार) के तहत अपराध नहीं माना जा सकता.

जस्टिस पाणिग्रही ने इस मुद्दे को हल करने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि अक्सर सवाल उठाए जाते हैं कि इस तरह के मामलों को कानून और न्यायिक फैसलों से कैसे हल किया जा सकता है. बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि बलात्कार कानून अक्सर सामाजिक रूप से वंचित और गरीब पीड़ितों की दुर्दशा को ठीक करने में विफल रहे हैं, जहां वे पुरुष की ओर से किए गए शादी के झूठे वादे में फंसकर शारीरिक संबध बना लेती हैं.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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