पत्नी का शव ले जाता हुआ दाना मांझी (फाइल फोटो).
भुवनेश्वर:
ओडिशा सरकार ने दाना मांझी के उस दावे को खारिज किया है, जिसके मुताबिक राज्य के कालाहांडी जिले में पत्नी का शव अस्पताल से अपने गांव ले जाने के लिए उसे शववाहन या एंबुलेंस नहीं मिली थी.
मुख्य चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट में कहा गया है, "दाना मांझी की पत्नी को जिस वार्ड में रखा गया था, उसके आसपास के मरीजों, उनके तीमारदारों का कहना है कि वे जब रात में सो रहे थे तभी दाना मांझी अपने मरीज को लेकर चले गए. " रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज को मृत घोषित नहीं किया गया था.
स्वास्थ्य मंत्री अतानु सब्यसाची नायक ने शुक्रवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रफुल्ल मांझी के सवाल पर लिखित जवाब में रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी. रिपोर्ट के मुताबिक, "दाना मांझी ने रात में अस्पताल के किसी भी कर्मचारी से किसी तरह की मदद या शव को ले जाने के लिए वाहन की मांग नहीं की थी. गरीब मरीजों को संपर्क किए जाने पर परिवहन की व्यवस्था सीएमआरएफ/आरकेएस या रेड क्रॉस फंड द्वारा की जाती है. लेकिन दाना मांझी ने न तो खुद, न ही किसी अन्य ने उनकी ओर से शव वाहन या किसी अन्य सहायता की मांग अस्पताल के कर्मचारियों से की."
सरकार इस मामले में अस्पताल प्रशासन को सूचित नहीं किए जाने को लेकर अस्पताल की नर्स राजेंद्र राणा को बर्खास्त कर चुकी है और सिक्योरिटी एजेंसी को भी हटा दिया है. दाना मांझी अपनी पत्नी का शव कंधे पर उठाकर 10 किलोमीटर पैदल चले थे. अगस्त की यह घटना अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में रही. इस घटना के बाद कई संगठनों ने मांझी को मदद की पेशकश की.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
मुख्य चिकित्सा अधिकारी की रिपोर्ट में कहा गया है, "दाना मांझी की पत्नी को जिस वार्ड में रखा गया था, उसके आसपास के मरीजों, उनके तीमारदारों का कहना है कि वे जब रात में सो रहे थे तभी दाना मांझी अपने मरीज को लेकर चले गए. " रिपोर्ट के मुताबिक, मरीज को मृत घोषित नहीं किया गया था.
स्वास्थ्य मंत्री अतानु सब्यसाची नायक ने शुक्रवार को विधानसभा में कांग्रेस विधायक प्रफुल्ल मांझी के सवाल पर लिखित जवाब में रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी. रिपोर्ट के मुताबिक, "दाना मांझी ने रात में अस्पताल के किसी भी कर्मचारी से किसी तरह की मदद या शव को ले जाने के लिए वाहन की मांग नहीं की थी. गरीब मरीजों को संपर्क किए जाने पर परिवहन की व्यवस्था सीएमआरएफ/आरकेएस या रेड क्रॉस फंड द्वारा की जाती है. लेकिन दाना मांझी ने न तो खुद, न ही किसी अन्य ने उनकी ओर से शव वाहन या किसी अन्य सहायता की मांग अस्पताल के कर्मचारियों से की."
सरकार इस मामले में अस्पताल प्रशासन को सूचित नहीं किए जाने को लेकर अस्पताल की नर्स राजेंद्र राणा को बर्खास्त कर चुकी है और सिक्योरिटी एजेंसी को भी हटा दिया है. दाना मांझी अपनी पत्नी का शव कंधे पर उठाकर 10 किलोमीटर पैदल चले थे. अगस्त की यह घटना अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियों में रही. इस घटना के बाद कई संगठनों ने मांझी को मदद की पेशकश की.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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