देश में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले चार सालों में बाघों की संख्या में करीब 30 फीसद की बढ़ोतरी हुई है और देश में इनकी संख्या अब 2226 हो गई है। इससे पहले 2010 में हुई गणना में देश के भीतर 1706 बाघ पाए गए थे।
नौ साल पहले बाघों को लेकर गंभीर चिंता पैदा हो गई थी जब 2006 में ख़बर आई कि राजस्थान के सरिस्का टाइगर रिज़र्व में एक भी बाघ नहीं बचा है। तब से बाघों को बचाने और उनकी संख्या बढ़ाने के लिए लगातार कोशिश हुई है।
सरकार की ओर से बाघों को बचाने के लिए बनाई गई नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथॉरिटी हर चार साल में आधुनिक तरीके से बाघों की गिनती करती है।
2006 में किए गए सर्वे में केवल 1411 बाघों के बचे होने की बात सामने आई थी। जबकि अब ये संख्या 2226 हो गई है। ताज़ा सर्वे करीब 3.78 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले देश के 18 राज्यों के टाइगर रिज़र्व में किया गया। इसके लिए डेढ़ हज़ार से अधिक यूनिक टाइगर फोटो लिए गए जो बाघों की संख्या गिनने का आधुनिक तरीका है।
ताज़ा सर्वे से पता चलता है कि कर्नाटक में बाघों की संख्या सबसे तेज़ी से बढ़ी है। यहां आज कुल 406 बाघ हैं। इसके बाद उत्तराखंड का नंबर है जहां 340 बाघ हैं। इसके बाद मध्यप्रदेश, तमिलनाडु और केरल का नंबर है। उड़ीसा, झारखंड और उत्तरी आंध्र प्रदेश में बाघों की संख्या घटी है। इस रिपोर्ट में पोचिंग और नक्सलवाद को इन राज्यों में बाघों की घटती संख्या के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है।
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