यह ख़बर 19 जून, 2014 को प्रकाशित हुई थी

अब गूगल की मदद से होगी प्रिवेंटिव पुलिसिंग

फाइल फोटो

कानपुर:

 
कानपुर जोन के सभी नौ जिलों में अब प्रिवेंटिव पुलिसिंग होगी इसके लिए गूगल का सहारा लिया जा रहा है। इसके तहत प्रत्येक जिले के सभी पुलिस स्टेशनों में पिछले 10 सालों में होने वाले अपराधों का ब्योरा और इतिहास गूगल में दर्ज किया जाएगा और सर्वाधिक अपराध होने वाले क्षेत्रों को चिन्हित करके वहां पर पुलिस पिकेट तैनात किए जाएंगे ताकि अपराधी अपराध करके भाग न सकें या फिर वह अपराध करने से पहले ही पुलिस के हत्थे चढ़ जाएं।
 
गूगल के सहारे प्रिवेंटिव पुलिस सेवा की शुरुआत कानपुर जोन के नौ जिलो कानपुर शहर, कन्नौज, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, झांसी, ललितपुर, मैनपुरी, जालौन तथा इटावा के सभी 176 पुलिस स्टेशनों में अगले माह जुलाई के प्रथम सप्ताह में शुरू हो जाएंगी। इसके लिए प्रत्येक थाने के एक-एक युवा पुलिसकर्मी को इस बारे में ट्रेनिंग देने का कार्यक्रम शुरू हो चुका है।
 
कानपुर जोन के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी पुलिस) आशुतोष पांडे ने बताया कि अभी तक हमारी पुलिस 'रिएक्टिंग पुलिसिंग' करती है जिसमें कोई अपराध या घटना हो जाने के बाद पुलिस मौके पर पहुंचती है और मामले की जांच पड़ताल कर अपराधियों तक पहुंचती है, लेकिन आगरा के बाद हम कानपुर जोन के सभी नौ जिलो में प्रिवेंटिव पुलिसिंग की शुरुआत करने जा रहे हैं ताकि अपराध से पहले या अपराध करने के बाद अपराधी पुलिस की गिरफ्त में हो। पांडे इसके पहले आगरा में तैनात थे और वहां प्रिवेंटिव पुलिसिंग के कार्य का देखरेख किया था।
 
पांडे के अनुसार इसके तहत हमने सभी जिलों के पुलिस स्टेशनों से सबसे ज्यादा अपराध किए जाने वाले स्थानों का पूरा ब्योरा मंगवा लिया है। उदाहरण के तौर पर कानपुर के सिविल लाइंस इलाके में एक स्थान पर पिछले दस साल में सर्वाधिक चेन लूटने की सर्वाधिक घटनायें हुई है तो हम यह सभी डाटा गूगल की एक विशेष वेबसाइट में डाल देंगे जिसका पासवर्ड सिर्फ अधिकारियों और थाना इन्चार्ज के पास होगा। इसी तरह मारपीट, डकैती, चोरी, लूट, सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं पिछले दस सालों में कब-कब कहां-कहां हुई है, यह सब गूगल मैप में पड़ा होगा। अब अधिकारी गूगल मैप में जाकर पासवर्ड डालकर उस जिले का जब इतिहास खंगालेगा तो उसकी एक क्लिक से सारे जिले में सर्वाधिक अपराध की घटनाएं कहां-कहां होती है, उसका पूरा विवरण उसके कंप्यूटर स्क्रीन पर होगा।
 
उन्होंने बताया कि गूगल मैप पर डाले गए डाटा में अपराध क्या था, किसने किया था, कब किया था तथा वर्तमान समय मे उस मामले की स्थिति क्या है, अपराधी कौन थे और क्या वे पकड़े गए या अभी तक फरार हैं, यह सारी जानकारी उपलब्ध होगी। किसी शहर का नाम गूगल मैप पर डालने के साथ ही शहर में इलाके के अनुसार अपराधों का ब्योरा खुद-ब-खुद सामने आ जाएगा और यह पता चल जाएगा कि किस इलाके में कौन सा अपराध ज्यादा हो रहा है।
 
आईजी पांडे ने बताया कि फिर हम जहां अपराध ज्यादा हो रहा है वहां-वहां पर पुलिस की टुकड़ियां और पिकेट तैनात करेंगे ताकि अपराध से पहले ही अपराधी पुलिस की गिरफत में आ जाए और अगर किसी कारण अपराध हो भी गया तो अपराधी तुरंत पुलिस की गिरफत में आ जाए।
 
पांडे ने बताया कि आगरा में इस प्रिवेंटिव पुलिसिंग व्यवस्था शुरू करने के बाद से वहां होने वाली सर्वाधिक चांदी की लूट की घटनाओं में काफी कमी आ गई थी क्योंकि हमने गूगल मैप के सहारे वह स्थान चिह्नित कर लिए थे जहां-जहां सर्वाधिक चांदी लूट की घटनाए होती थीं, फिर उन स्थानों पर पुलिस तैनात कर दी थी इससे अपराधी या तो पहले ही पकड़ जाते थे या फिर लूट के बाद तुरंत पुलिस के हत्थे चढ़ जाते थे।
 
कानपुर जोन के सभी नौ जिलों के 176 पुलिस स्टेशनों के पुलिसकर्मियों की ट्रेनिंग का काम शुरू हो गया है और सभी जिलों के अपराधों की डाटा फीडिंग भी शुरू हो गई है। एक बार डाटा फीडिंग पूरी होने के बाद यह ट्रेनिंग प्राप्त पुलिसकर्मी रोजाना होने वाले अपराध अपने अपने थानों के कंप्यूटर में फीड करेंगे जो पूरे जोन के पुलिस अधिकारियों को एक साथ नजर आएगी। यह गूगल पर आधारित प्रिवेंटिव पुलिसिंग व्यवस्था जोन के सभी नौ जिलों में अगले माह जुलाई के प्रथम सप्ताह में शुरू किए जाने की कोशिश है।


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