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This Article is From Nov 19, 2015

यूपी में कांग्रेस की तकदीर बदलने की जिम्‍मेदारी संभाल सकते हैं प्रशांत किशोर

यूपी में कांग्रेस की तकदीर बदलने की जिम्‍मेदारी संभाल सकते हैं प्रशांत किशोर
नीतीश कुमार के साथ प्रशांत किशोर (फाइल फोटो)
नई दिल्‍ली: लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और अब बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की जीत में अपने रणनीतिक कौशल का लोहा मनवाने वाले प्रशांत किशोर की डिमांड बढ़ती जा रही है। हाल ही में पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस की ओर से उनसे संपर्क किए जाने खबरें आई थीं। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो वे उत्‍तरप्रदेश में भी कांग्रेस के लिए प्रचार रणनीति बना सकते हैं।

जानकारी के मुताबिक, 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान के लिए कांग्रेस ने 37 वर्षीय प्रशांत किशोर से संपर्क किया है। पार्टी के एक वरिष्‍ठ नेता ने प्रशांत से संपर्क किए जाने की बात स्‍वीकार भी की है। बात आगे बढ़ी तो प्रशांत किशोर अपनी प्रचार कौशल का इस्‍तेमाल कांग्रेस के लिए करेंगे। वैसे, यूपी में लगभग शून्‍य की स्थिति में पड़ी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरना प्रशांत के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। वैसे, प्रशांत कई साल पहले कांग्रेस पार्टी के लिए काम कर चुके हैं। ऐसे में वह पुराना अनुभव उनके काम आ सकता है।

तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस ही क्‍या, प्रशांत को अब पूरे देश से उन पार्टियों के प्रस्‍ताव मिलने लगे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ झंडा बुलंद किए हैं। बीबीसी के अनुसार, प्रशांत किशोर फिलहाल पटना में नीतीश की ओर से कैबिनेट के बारे में बातचीत करने के लिए लालू यादव के साथ संपर्क बनाए हुए हैं। जानकारी के मुताबिक, नीतीश की ओर से उन्‍हें राज्य सभा सीट या बिहार में महत्वपूर्ण मंत्री पद का ऑफर किया गया था लेकिन प्रशांत ने ऑफर को स्‍वीकार नहीं किया है।

वैसे बिहार मे मिली चुनावी कामयाबी का श्रेय एक हद तक प्रशांत किशोर को देने में नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव ने बेहद साफगाई बरती है। जब चुनाव के परिणाम आए तो लालू ने सार्वजनिक रूप से उन्हें 'बुद्धिजीवी' बताया जबकि नीतीश ने उन्हें प्रेस के सामने आने का न्योता दिया। चुनावी रणनीति को कसने के साथ ही किशोर ने इस बात का पूरा ध्‍यान रखा कि लालू और नीतीश के बीच का गठबंधन जमीनी स्‍तर पर सहज रहे एनडीए को पछाड़ने के लिए महागठबंधन के प्रचार अभियान की हर दूसरे दिन रणनीति तैयार की जाती थी।

बैकरूम ऑपरेशंस के अगुवा हैं प्रशांत
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के प्रचार में प्रशांत किशोर परदे के पीछे खास भूमिका निभा चुके हैं। नीतीश की जोरदार जीत में श्रेय तो एक हद तक उनके चुनाव प्रबंधन को भी दिया जा रहा है। प्रशांत को 'बैकरूम ऑपरेशंस' का ऐसा महारथी माना जा रहा है जो अपने 'मिडाज टच' से स्थितियों को बदलने में सक्षम है। जानकारी के अनुसार, नीतीश जेडीयू के राज्‍यसभा सांसद पवन वर्मा की सिफारिश पर प्रशांत से मिले थे और उन्‍हें बिहार में महा गठबंधन के लिए चुनावी प्रबंधन का जिम्‍मा दिया था।

मोदी को दिया था 'चाय पर चर्चा' का आइडिया
लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान 3ने ही नरेंद्र मोदी को चाय पर चर्चा और थ्रीडी होलोग्राम रैली का आइडिया सुझाया था। नीतीश के चुनाव प्रचार के दौरान 'परचे पर चर्चा' का विचार लेकर आए। इसमें लोगों से बिहार सरकार के 10 साल के कार्यकाल और प्रदर्शन के बारे में फीडबैक देने को कहा गया। खास बात यह है कि प्रशांत किशोर अफ्रीका में यूएन हेल्‍थ एक्‍सपर्ट की अपनी छोड़कर 2011 में ही भारत लौटे हैं।

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