प्रतीकात्मक चित्र
नई दिल्ली:
अगर आप ध्वनि प्रदूषण को नजरअंदाज कर रहे हैं तो सावधान हो जाइये इससे न केवल आप बहरे हो सकते हैं बल्कि याददाश्त एवं एकाग्रता में कमी, चिड़चिड़ापन, अवसाद जैसी बीमारियों के अलावा नपुंसकता और कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों की चपेट में भी आ सकते हैं.
दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के आंख, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजय स्वरूप ने बताया, ‘‘स्वास्थ्य के लिहाज से ध्वनि प्रदूषण काफी हानिकारक है. इससे व्यक्ति बहरेपन से लेकर कई तरह की गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है. ऐसे में ध्वनि प्रदूषण और फोन का कम इस्तेमाल करना चाहिए और जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.’’
गौरतलब है कि रात दस बजे से सुबह छह बजे तक 75 डेसीबल से अधिक का शोर (ध्वनि के स्रोत से एक मीटर की दूरी तक) गैर कानूनी है. इन नियमों का उल्लंघन करने वाले दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 290 और 291 के अलावा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत एक लाख रुपये का जुर्माना अथवा पांच साल तक की जेल या फिर दोनों सजा एक साथ हो सकती है.
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूकता पर जोर देते हुए जानी मानी वकील इंदिरा जयसिंह ने बताया, ‘‘अदालतों और न्यायालय के आदेशों को लागू करना कानून प्रवर्तन एजेंसियों का काम है और इसके लिए पुलिस में शिकायत की जानी चाहिए. रात भर लोग जागरण करते हैं लेकिन अगर लोग ठान लें और पुलिस में शिकायत करें तो ऐसा नहीं होगा और लोग ध्वनि प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से बच सकेंगे.’
नियम के मुताबिक, रात के दस बजे से सुबह के छह बजे तक खुली जगह में किसी तरह का ध्वनि प्रदूषण (डीजे, लाउडस्पीकर, बैंड बाजा, स्कूटर कार बस का हॉर्न, धर्म के नाम पर वाद्ययंत्र का इस्तेमाल या संगीत बजाने) फैलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल के आंख, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजय स्वरूप ने बताया, ‘‘स्वास्थ्य के लिहाज से ध्वनि प्रदूषण काफी हानिकारक है. इससे व्यक्ति बहरेपन से लेकर कई तरह की गंभीर बीमारियों का शिकार हो सकता है. ऐसे में ध्वनि प्रदूषण और फोन का कम इस्तेमाल करना चाहिए और जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए.’’
गौरतलब है कि रात दस बजे से सुबह छह बजे तक 75 डेसीबल से अधिक का शोर (ध्वनि के स्रोत से एक मीटर की दूरी तक) गैर कानूनी है. इन नियमों का उल्लंघन करने वाले दोषियों को भारतीय दंड संहिता की धारा 290 और 291 के अलावा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत एक लाख रुपये का जुर्माना अथवा पांच साल तक की जेल या फिर दोनों सजा एक साथ हो सकती है.
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए जागरूकता पर जोर देते हुए जानी मानी वकील इंदिरा जयसिंह ने बताया, ‘‘अदालतों और न्यायालय के आदेशों को लागू करना कानून प्रवर्तन एजेंसियों का काम है और इसके लिए पुलिस में शिकायत की जानी चाहिए. रात भर लोग जागरण करते हैं लेकिन अगर लोग ठान लें और पुलिस में शिकायत करें तो ऐसा नहीं होगा और लोग ध्वनि प्रदूषण से होने वाली समस्याओं से बच सकेंगे.’
नियम के मुताबिक, रात के दस बजे से सुबह के छह बजे तक खुली जगह में किसी तरह का ध्वनि प्रदूषण (डीजे, लाउडस्पीकर, बैंड बाजा, स्कूटर कार बस का हॉर्न, धर्म के नाम पर वाद्ययंत्र का इस्तेमाल या संगीत बजाने) फैलाने पर पूरी तरह प्रतिबंध है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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