"घबराने की जरूरत नहीं": AIIMS प्रमुख और शीर्ष डॉक्टरों ने कोरोना संकट पर दूर किए संदेह

AIIMS निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (Dr Randeep Guleria) ने कहा कि देश में 10-15 फीसदी लोग ही हैं, जिन्हें गंभीर संक्रमण  होता है और जिन्हें रेमडेसिविर, ऑक्सीजन या प्लाज्मा की जरूरत पड़ सकती है. 

नई दिल्ली:

एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया (AIIMS Director Dr Randeep Guleria) ने कहा है कि कोरोनावायरस को लेकर देश भर में पैनिक (घबड़ाहट) पैदा करने की जरूरत नहीं है. कोरोनावायरस से जुड़ी एक ऑनलाइन कान्फ्रेंस में रविवार को गुलेरिया ने ये बात कही. उनके साथ मेदांता के चेयरमैन डॉ. नरेश त्रेहन, एम्स के मेडिसिन विभाग के प्रमुख और प्रोफेसर डॉ. नवीत विग और स्वास्थ्य सेवाओं  के महानिदेशक डॉ. सुनील कुमार भी इस परिचर्चा में शामिल थे. AIIMS निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि देश में 10-15 फीसदी लोग ही हैं, जिन्हें गंभीर संक्रमण  होता है और जिन्हें रेमडेसिविर, ऑक्सीजन या प्लाज्मा की जरूरत पड़ सकती है. 

डॉ. गुलेरिया ने कहा, अगर हम कोरोना की मौजूदा स्थिति की बात करें तो जनता में घबराहट का आलम है,लोग अपने घरों में इंजेक्शन रख रहे हैं, रेमडेसिविर इंजेक्शन जमा कर रहे हैं और ऑक्सीजन सिलेंडर जुटा रहे हैं.  इस कारण आपूर्ति का संकट पैदा हो गया है और एक अनावश्यक अफरा-तफरी का माहौल पैदा किया जा रहा है. 

उन्होंने कहा, कोविड-19 का संक्रमण एक सामान्य इन्फेक्शन है. 85 से 90 फीसदी लोगों में बुखार, जुकाम, शरीर में दर्द, खांसी जैसे मामूली लक्षण सामने आते हैं. ऐसे मामलों में रेमडेसेविर या अन्य लंबी चौड़ी तादाद में दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती. आप ऐसे सामान्य संक्रमण के लिए दवाएं ले सकते हैं या घरेलू औषधि और योग के जरिये अपना इलाज कर सकते हैं. इससे आप सात से 10 दिन के भीतर ठीक हो सकते हैं. आपको घर पर रेमडेसिविर इंजेक्शन या ऑक्सीजन रखने की जरूरत कतई नहीं है.

एम्स निदेशक ने कहा, केवल 10-15 फीसदी लोग ही कोरोना का गंभीर संक्रमण का सामना करते हैं., जिन्हें रेमडेसिवर जैसी दवाओं की जरूरत पड़ सकती है. जबकि पांच फीसदी से भी कम मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है.  गुलेरिया ने कहा, अगर हम इस डेटा को देखें तो पता चलता है कि घबराहट या अफरातफरी की कोई वजह नहीं है. अगर किसी की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो उसे तुरंत अस्पताल भागने या मेडिकल ऑक्सीजन पाने के लिए दौड़ नहीं लगानी चाहिए. हमें यह समझना होगा कि यह सामान्य बीमारी है, जिसमें 10-15 फीसदी केस ही गंभीर होते हैं.

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मेदांता चेयरमैन डॉ. त्रेहन (Medanta chairman Dr  Naresh Trehan) ने कहा कि 90 फीसदी कोरोना के मरीज घर पर ही ठीक हो सकते हैं, अगर उन्हें समय पर सही दवा मुहैया कराई जाए. त्रेहन ने कहा, जैसे ही आपकी RT-PCR रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाए, मेरी सलाह है कि आप अपने स्थानीय डॉक्टर से संपर्क करें. सभी डॉक्टर कोरोना का प्रोटोकॉल जानते हैं और उसके अनुसार उपचार शुरू कर सकते हैं.