नई दिल्ली:
स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बुधवार इस तरह की खबरों को खारिज कर दिया कि उन्होंने एड्स की चुनौती से निपटने में कंडोम की भूमिका को नकारा था। हालांकि उन्होंने कहा कि सरकारी अभियानों में सुरक्षित यौन संबंधों पर जोर होना चाहिए जिसमें एक ही जीवनसाथी के प्रति वफादारी शामिल है।
उन्होंने कहा कि लोगों को एड्स की रोकथाम के कदम के तौर पर ईमानदारी को सबसे ऊपर रखने के बारे में जागरक करने संबंधी बयान न केवल संस्कृति से जुड़ा है बल्कि वैज्ञानिक भी है।
हर्षवर्धन ने कहा, 'कोई भी अनुभवी एनजीओ कार्यकर्ता जानता है कि कई बार इस्तेमाल करते समय कंडोम फट जाते हैं। इसलिए भारत में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन का अभियान हो या राज्य सरकारों के अभियान हों, इन सभी में समग्र अवधारणा के तौर पर सुरक्षित संबंधों पर जोर होना चाहिए जिसमें एक ही जीवनसाथी के प्रति ईमानदारी को रेखांकित करना भी शामिल है।'
सरकारी दौरे पर अमेरिका गए मंत्री ने अपने बयान में इस बात को खारिज कर दिया कि उन्हें कंडोम से कोई 'नैतिक समस्या' है जैसा कि खबरों में बताया गया है।
उन्होंने कहा, 'गुमराह करने वाली खबरों के माध्यम से यह धारणा बनाने की कोशिश की गयी कि कंडोम की क्षमता को लेकर मेरे मन में संदेह है या मुझे कंडोम से कोई नैतिक समस्या है।'
हर्षवर्धन ने कहा, 'पिछले दो दशक से मैं कंडोम और अनुशासित जीवन के तालमेल के साथ सुरक्षित यौन संबंधों की जरूरत पर जोर देता आ रहा हूं।'
उन्होंने कहा, 'स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर मैं इस साधारण संदेश को सरकार के एड्स निरोधक कार्यक्रम की संचार रणनीति में शामिल करने को उचित मानता हूं।'
मंत्री के मुताबिक, 'कंडोम से सुरक्षित यौन संबंधों का भरोसा मिलता है, लेकिन सबसे सुरक्षित संबंध एक ही साथी के प्रति वफादारी से होते हैं। रोकथाम हमेशा उपचार से बेहतर होती है।'