अंबी गांव (उस्मानाबाद):
महाराष्ट्र के सूखा प्रभावित मराठवाड़ा इलाके में 40 साल की एक महिला ने इसलिए खुदकुशी कर ली, क्योंकि उसके पास न तो कोई रोजगार था और न ही खाने को कुछ था और वह अपने पांच बच्चों का पेट भरने में असमर्थ थी।
पिछले शनिवार को जब देश में रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जा रहा था, उस्मानाबाद जिले की मनीषा गटकल ने अपने ऊपर किरोसिन तेल डालकर खुद को आग लगा ली। अंबी गांव में मनीषा के घर में न तो चावल है, न आटा है, न तेल, सिर्फ खाली बर्तन पड़े हुए हैं। परिवार के पास जीविका का कोई साधन नहीं है।
मनीषा के पति लक्ष्मण ने बताया, हम बेहद गरीब हैं। घर में खाने को कुछ नहीं था। मेरे पास कोई काम नहीं था, जब मुझे कुछ काम मिला तो मैं बाहर चला गया। उसने दरवाजा बंद कर अपनी जान दे दी।
गटकल के एक रिश्तेदार ने कहा, राशन के रूप में सिर्फ 18 किलो गेहूं और 12 किलो चावल मिलता है, जो कि सात लोगों के परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है और ये 12 दिनों में ही खत्म हो जाता है। उस्मानाबाद और सोलापुर जिलों के बीच बसे इस गांव के लोग बताते हैं कि यहां हालात बेहद खराब हैं, क्योंकि रोजगार गारंटी योजना के तहत भी यहां काम नहीं मिलता है।
लक्ष्मण के भाई बाला साहब कहते हैं, अगर उसे नरेगा के तहत काम मिला होता, तो उसके पास कुछ पैसे होते और तब शायद मनीषा ने खुदकुशी न की होती। मराठवाड़ा क्षेत्र में लगातार तीन सालों से सूखा पड़ रहा है और इस मॉनसून सीजन में भी यहां देश में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। साल 2014 में यहां किसानों की खुदकुशी के 574 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस साल अब तक 628 किसानों ने आत्महत्या कर ली है।
पिछले शनिवार को जब देश में रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जा रहा था, उस्मानाबाद जिले की मनीषा गटकल ने अपने ऊपर किरोसिन तेल डालकर खुद को आग लगा ली। अंबी गांव में मनीषा के घर में न तो चावल है, न आटा है, न तेल, सिर्फ खाली बर्तन पड़े हुए हैं। परिवार के पास जीविका का कोई साधन नहीं है।
मनीषा के पति लक्ष्मण ने बताया, हम बेहद गरीब हैं। घर में खाने को कुछ नहीं था। मेरे पास कोई काम नहीं था, जब मुझे कुछ काम मिला तो मैं बाहर चला गया। उसने दरवाजा बंद कर अपनी जान दे दी।
(मनीषा ने अपने ऊपर किरोसिन का तेल डालकर खुद को आग लगा ली थी)
गटकल के एक रिश्तेदार ने कहा, राशन के रूप में सिर्फ 18 किलो गेहूं और 12 किलो चावल मिलता है, जो कि सात लोगों के परिवार के लिए पर्याप्त नहीं है और ये 12 दिनों में ही खत्म हो जाता है। उस्मानाबाद और सोलापुर जिलों के बीच बसे इस गांव के लोग बताते हैं कि यहां हालात बेहद खराब हैं, क्योंकि रोजगार गारंटी योजना के तहत भी यहां काम नहीं मिलता है।
लक्ष्मण के भाई बाला साहब कहते हैं, अगर उसे नरेगा के तहत काम मिला होता, तो उसके पास कुछ पैसे होते और तब शायद मनीषा ने खुदकुशी न की होती। मराठवाड़ा क्षेत्र में लगातार तीन सालों से सूखा पड़ रहा है और इस मॉनसून सीजन में भी यहां देश में सबसे कम बारिश दर्ज की गई है। साल 2014 में यहां किसानों की खुदकुशी के 574 मामले दर्ज किए गए थे, जबकि इस साल अब तक 628 किसानों ने आत्महत्या कर ली है।
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