उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
संसद के मॉनसून सत्र में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर 'कभी हां, कभी ना' जैसा रुख अपनाने वाली शिवसेना ने सत्र शुरू होने से महज कुछ समय पहले ही एक अनोखा फैसला लेकर सबको चौंका दिया. शिवसेना ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक के बाद यह स्पष्ट कर दिया कि वह अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी. इसके साथ ही शिवसेना लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में भी हिस्सा नहीं लेगी. यानी परोक्ष रूप से शिवसेना के इस फैसले से मोदी सरकार को फायदा हो गया है. बता दें कि शिवसेना ने मोदी सरकार को समर्थन को लेकर सुबह साढ़े दस बजे एक बैठक बुलाई थी, जिसमें उसने यह फैसला लिया है.
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इससे पहले शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि 'शिवसेना के स्टैंड पर पूरे देश की नजर है. हमारी पार्टी सही निर्णय लेगी. साढ़े दस से ग्यारह के बीच में पार्टी के मुखिया खुद पार्टी को अपने निर्णय के बारे में बताएंगे.' मगर शिवसेना ने चर्चा शुरू होने से ठीक कुछ मिनट पहले यह ऐलान कर दिया कि वह लोकसभा में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली वोटिंग में हिस्सा नहीं लेगी. इसका मतलब है कि शिवसेना ने प्रत्यक्ष रूप से न तो सरकार का साथ दिया है और न ही उसके फैसले से कांग्रेस को बल मिला है.
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शिवसेना के रुख पर काफी समय से लोगों की नजर थी कि आखिर अक्सर मोदी सरकार के प्रति बगावती तेवर अपनाने वाली शिवसेना का क्या स्टैंड होता है. सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, ऐसी उम्मीद थी कि शिवसेना सरकार का साथ देगी. मगर, उसने वोटिंग में हिस्सा न लेने के फैसले से मोदी सरकार के साथ-साथ सबको चौंका दिया है. यानी शिवसेना ने अपने लिए दोनों तरफ के दरवाजे खुले रखे हैं. शिवसेना ने वोटिंग से अलग रहने का फैसला लेकर अपने आपको न्यूट्रल और सुरक्षित रखा है. हालांकि, सूत्रों की मानें तो कांग्रेस को उम्मीद थी कि शिवसेना सरकार के खिलाफ में अपना वोट करेगी.
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सूत्रों से मिल रही जानकारी के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ पेश किए गए अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद विपक्ष ने वॉक आउट करने की योजना बनाई है. ऐसा बताया जा रहा है कि नंबर गेम से बचने के लिए विपक्ष की रणनीति का यह हिस्सा है.
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