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This Article is From May 24, 2020

सीएम नीतीश कुमार का राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाना क्या उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को नहीं है पसंद

बिहार के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार चुनावी साल में अपने सहयोगी बीजेपी को साथ लेकर चलने और ख़ुश रखने में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी को उनकी उपलब्धि गिनाना पसंद नहीं.

सीएम नीतीश कुमार का राज्य सरकार की उपलब्धियां गिनाना क्या उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को नहीं है पसंद
बिहार में नीतीश vs सुशील अंदर ही अंदर जारी है
पटना:

बिहार के मुख्यमंत्री  नीतीश कुमार चुनावी साल में अपने सहयोगी बीजेपी को साथ लेकर चलने और ख़ुश रखने में अपनी ओर से कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. लेकिन ऐसा लगता है कि बीजेपी को उनकी उपलब्धि गिनाना पसंद नहीं. इसका एक उदाहरण शनिवार को देखने को मिला जब नीतीश कुमार द्वारा लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उठाये गये क़दमों का विज्ञापन जारी किया गया तो शाम में उपमुख्य मंत्री सुशील मोदी के केंद्र द्वारा बिहार के लोगों के लिए जो अब तक सहायता दी गयी हैं उस पर एक प्रेस विज्ञप्ति में जानकारी दी गई.  अख़बारों में जारी विज्ञापन में नीतीश कुमार ने सबसे ऊपर प्रवासी श्रमिकों के लिए जो भी क़दम उठाए गए हैं, उसके बारे में विस्तार से जानकारी दी. जिसके अनुसार राज्य में 11, हज़ार से अधिक क्वारंटाइन कैंप में साढ़े आठ लाख से अधिक लोगों को रखा गया है. उन्हें बर्तन, कपड़ा, तेल, कंघी. टूथब्रश, छोटा आइना, बाल्टी, मग, मच्छरदानी और दरी उपलब्ध कराया जा रहा है. साथ ही कैंप से निकलने के समय ट्रेन के किराए के साथ 500 रुपए कि अतिरिक्त राशि के बारे में भी उनके खाते में भुगतान का वादा किया गया है. 

इसके अलावा नीतीश कुमार के अनुसार अब तक राशन कार्ड धारियों के खाते में 1 हज़ार रुपया की राशि ट्रांसफर की गई है. 84,76,000 पेंशनधारियों के खाते में 1017 करोड़ रुपये का राशि तीन महीने के पेंशन का अग्रिम भुगतान है. क़रीब 1, करोड़8, लाख छात्र छात्राओं के खाते में 3102 करोड़ रुपया उनकी छात्रवृत्ति, पोशाक और साइकिल योजनाओं के बाद में ट्रांसफर किया गया है. 

किसानों के लिए फ़सल क्षेत्रों फ़सल क्षति के कारण 730 करोड़ रुपये दिया गया है साथ ही विज्ञापन में यह भी कहा गया है कि अभी  लॉकडाउन की वजह से बिहार के बाहर फंसे बिहार के बीस लाख पैंतीस हज़ार से अधिक मज़दूरों के खाते में एक हज़ार रूपये के दर से दो सौ तीन करोड़ रुपये की सहायता राशि ट्रांसफर की गई है.
 

लेकिन शाम में उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी के एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार कोरोना संकट के बाद केंद्र ने बिहार सरकार को 11,744 करोड़ की मदद की है. जिसमें 
गरीबों को दिए गए 5719 करोड़ नगद और 6024 करोड़ से ज्यादा के मुफ्त खाद्यान्न शामिल हैं. 

मोदी के अनुसार कोरोना संकट के दौरान केन्द्र सरकार ने खाद्यान्न व नगद के रूप में बिहार के गरीबों को 11,744 करोड़ की मदद की है जिनमें 5,719 करोड़ डीबीटी के जरिए सीधे उनके खाते में और 6,024 करोड़ मूल्य के खाद्यान्न का वितरण किया गया है. 

सुशील मोदी ने पूछा कि आरजेडी-कांग्रेस बताएं कि क्या उनके शासनकाल में बाढ़ और सुखाड़ जैसी आपदाओं के समय भी बिहार के पीड़ितों को मदद की जाती थी? क्या लाखों पीड़ितों को बाढ़ खत्म होने के महीनों बाद तक कुछ किलो अनाज के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता था?

मोदी ने कहा कि बिहार में पहली किसी सरकार ने 8 करोड़ 71 लाख गरीबों को 3 महीने तक प्रति महीने प्रति व्यक्ति 5-5 किलो यानी 15 किलो चावल जिसका बाजार मूल्य 28 से 30 रु. प्रति किलो है और 1.67 करोड़ परिवारों को प्रति परिवार 1-1 किलो यानी 3 किलो अरहर दाल जिसका बाजार मूल्य 120 रु. प्रति किलो हैं का मुफ्त में वितरण किया है. वितरित चावल और दाल की कुल कीमत करीब 6024 करोड़ रु.है.  

निश्चित रूप से सुशील मोदी का ये कदम इसलिए मुख्य मंत्री नीतीश कुमार को पसंद नहीं आया होगा कि केंद्र ने बिहार को विशेष ध्यान में रखकर कुछ भी अब तक नहीं दिय.  और जो भी पैसा या अनाज दिया जा रहा हैं वो चालू स्कीम के तहत हैं. 

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