निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर दावा किया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और ‘‘संवैधानिक अनियमितताएं'' थीं. शर्मा की तरफ से याचिका उसके वकील ए पी सिंह ने दायर की जिन्होंने कहा कि मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर किया गया है. याचिका में दावा किया गया है कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं हैं.
विनय की दया याचिका राष्ट्रपति ने एक फरवरी को खारिज कर दी थी. याचिका के मुताबिक मामले को जब उच्चतम न्यायालय के समक्ष उठाया गया तो केंद्र ने कहा था कि जैन का हस्ताक्षर व्हाट्सएप पर ले लिया गया था. इसने दावा किया कि जब दया याचिका दायर की गई थी उस समय चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू थी और जैन उस वक्त केवल विधायक उम्मीदवार थे क्योंकि चुनावों की घोषणा हो चुकी थी और इसलिए वह गृह मंत्री की शक्ति का इस्तेमाल नहीं कर सके.
याचिका में आरोप लगाया गया है, ‘‘दया याचिका खारिज करने के लिए इस्तेमाल की गई शक्तियां अवैध, असंवैधानिक, न्यायिक विफलता और भारत के निर्वाचन आयोग के संवैधानिक मूल्यों की विफलता है.'' दिल्ली की एक अदालत ने पांच मार्च को चार दोषियों विनय (26), अक्षय कुमार सिंह (31), मुकेश कुमार सिंह (32) और पवन कुमार गुप्ता (26) को 20 मार्च को फांसी पर लटकाने के लिए मौत का वारंट जारी किया था.
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