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This Article is From Apr 17, 2011

जन लोकपाल विधेयक के स्वरूप में व्यापक बदलाव

नई दिल्ली: सख्त लोकपाल विधेयक को लेकर शनिवार को हुई संयुक्त समिति की पहली बैठक में सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने जन लोकपाल विधेयक का एक नया रूप पेश किया। इसमें लोकपाल चयन समिति की संरचना में एक बड़ा बदलाव किया गया है। इसके अलावा विधेयक के निर्माण में प्रधानमंत्री और लोकसभा में विपक्ष के नेता की भागीदारी भी सुनिश्चित की गई है। लोकपाल विधेयक के इस बदले हुए स्वरूप को सामाजिक संगठन के प्रतिनिधियों ने 'संस्करण 2.2' नाम दिया है। विधेयक का यह स्वरूप विधेयक के पहले 'संस्करण 2.1' से थोड़ा भिन्न है। अपनी प्रकृति में काफी सख्त होने के चलते इसकी काफी आलोचना हुई थी।जन लोकपाल विधेयक में मुख्य रूप से किए गए बदलाव : नए संस्करण में लोकपाल के चयन में 'राजनीतिक' भागीदारी का दायरा बढ़ाया गया है। लोकपाल का चयन समिति के सदस्य, प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता, सर्वोच्च न्यायालय के सबसे युवा दो न्यायाधीश, उच्च न्यायालयों के सबसे युवा दो न्यायाधीश, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) और मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईसी) करेंगे। इसके पहले विधेयक के संस्करण में लोकपाल के चयन की जिम्मेदारी उप राष्ट्रपति, लोकसभा के अध्यक्ष, सर्वोच्च न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश, सेना के वरिष्ठ अधिकारी, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और सीएजी एवं सीईसी को दी गई थी। लोकपाल की चयन प्रक्रिया के लिए जहां पहले के संस्करण में खुला विज्ञापन निकालने की बात कही गई थी अब उसके स्थान पर पांच सदस्यों वाली एक समिति बनाई जाएगी। इस समिति में सीएजी और सीइसी के पूर्व अधिकारी शामिल होंगे। यह समिति पद के उपयुक्त समझे जाने वाले लोगों से आवेदन प्राप्त करेगी। इसके बाद समिति पदों से तीन गुना चयनित नामों को प्रधानमंत्री की अनुशंसा के लिए भेजेगी। विधेयक के पहले संस्करण में संयुक्त सचिव अथवा उससे बड़े अधिकारी के लिए जहां कम से कम 10 वर्ष की सजा और मंत्रियों को हटाए जाने का प्रावधान था वहीं इस नए संस्करण में 'उच्च पद पर आसीन अधिकारी के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।' लोकपाल के लिए योग्य वह व्यक्ति होगा जिसके खिलाफ कोई आरोपपत्र दाखिल न हो और उस पर कोई दंड न लगाया गया हो, उसकी उम्र 40 वर्ष से कम हो और उसे भारत का नागरिक होना चाहिए। इनके अलावा लोकपाल की शक्तियां पहले की तरह रहेंगी। लोकपाल सीधे जनता से शिकायत प्राप्त कर सकेगा। उसे स्वत: संज्ञान लेने का अधिकार होने के साथ ही पुलिस को कार्रवाई के लिए निर्देश देने का अधिकार होगा।

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