एक लॉ इंटर्न का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एके गांगुली ने भारत के प्रधान न्यायाधीश पी सतशिवम को पत्र लिखा है।
अपने पत्र में न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, हाल की कुछ घटनाओं से मैं व्यथित हूं। मैं क्षुब्ध हूं कि सुप्रीम कोर्ट ने मेरे मामले पर सही तरीके से गौर नहीं किया। उन्होंने कहा, मैं यह साफ करना चाहूंगा कि मैंने कभी भी किसी भी महिला इंटर्न का उत्पीड़न नहीं किया और न ही अभद्र व्यवहार किया।
उल्लेखनीय है कि लॉ इंटर्न ने इस मामले की जांच के लिए बनाई गई सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के सामने अपने हलफनामे में जस्टिस गांगुली पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। गांगुली ने कथित तौर पर लॉ इंटर्न से कहा था कि वह उससे प्यार करते हैं और उसके बाद लिफ्ट तक उस लड़की का पीछा किया था और उससे आग्रह किया था कि वह होटल के कमरे को छोड़कर न जाए, जहां वे काम के सिलसिले में ठहरे हुए थे।
युवा इंटर्न ने हलफनामे में कथित तौर पर कहा, "उन्होंने मुझे होटल में रुकने और रात भर काम करने के लिए कहा था। मैंने मना कर दिया और कहा कि मुझे काम जल्दी खत्म कर अपने पीजी एकोमोडेशन में लौटना है..." लेकिन कथित रूप से जस्टिस गांगुली इसके बाद भी उसे रुके रहने और अपने साथ एक ग्लास वाइन पीने के लिए दबाव डालते रहे... लड़की के बयान के मुताबिक गांगुली ने यह भी कहा कि वह होटल के कमरे में उन्हीं के साथ रुक सकती है...
हलफनामे में इसके आगे लड़की ने कहा, फिर उन्होंने मेरी बांह पकड़ ली और कहा, तुम जानती हो, मैं तुम्हें पसंद करता हूं, क्या तुम नहीं जानती? तुम जरूर यह सोच रही होगी कि यह बूढ़ा आदमी नशे में है और ऐसी बातें कर रहा है। लेकिन मैं तुम्हें सचमुच चाहता हूं, मैं तुमसे प्यार करता हूं... लड़की के मुताबिक जब उसने हटने की कोशिश की, तो गांगुली ने उसकी बांह चूमते हुए फिर कहा कि वह उससे प्यार करते हैं... लड़की ने कहा कि इसके बाद जज ने लिफ्ट तक मेरा पीछा किया और बार-बार कहते रहे कि प्लीज मत जाओ...
लड़की ने कहा कि अगले दिन उसने जज को फोन पर मैसेज भेजा कि वह उनके साथ काम करना जारी नहीं रख सकती, जिसके बाद जज लगातार उसे बार-बार फोन करते रहे और आखिर में उसे माफी मांगते हुए मैसेज भी भेजा। पिछले महीने लड़की ने कानूनी समाचारों से जुड़ी एक वेबसाइट पर इस घटना के बारे में ब्लॉग लिखा था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए तीन जजों की समिति बनाई थी। अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों और पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफे की चौतरफा मांग के बावजूद गांगुली ने कहा था, मैं अब कुछ नहीं बोलूंगा।
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