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This Article is From Dec 07, 2015

नेपाल के मधेसी नेताओं ने की सुषमा स्वराज से मुलाकात

नेपाल के मधेसी नेताओं ने की सुषमा स्वराज से मुलाकात
सुषमा स्वराज (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: नेपाल के नए संविधान का विरोध कर रहे भारतीय मूल के मधेसी समुदाय के नेताओं ने रविवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की जिन्होंने इस संकट के 'शीघ्र' राजनीतिक समाधान का आह्वान किया।

मधेसी समुदाय के विरोध प्रदर्शनों के कारण भारत से नेपाल को होने वाली आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित शीर्ष भारतीय नेतृत्व के साथ बातचीत करने के लिए यहां आए मधेसी नेताओं ने सुषमा को विभिन्न जटिल मुद्दों पर अपने विचारों से अवगत कराया। सुषमा ने कहा कि भारत 'समावेशी नेपाल' का समर्थन करता है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने बाद में ट्वीट किया, 'विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने व्यापक आधार वाले संविधान का आह्वान किया और शीघ्र राजनीतिक समाधान तथा उसके आधार पर हालात सामान्य होने की बात आगे बढ़ाई।'

भारत की सीमा से लगे तराई क्षेत्र में मधेसियों के आंदोलन के कारण नेपाल में सेवाएं बाधित हो गई हैं। प्रदर्शनकारियों ने दोनों देशों के बीच सभी सीमा व्यापार बिंदुओं पर नाकेबंदी कर दी है, जिससे ईंधन और दवाओं सहित आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित हो गई और नेपाल में उनकी किल्लत हो गई है।

मधेसी समुदाय नए संविधान के तहत देश को सात प्रांतों में बांटे जाने का विरोध कर रहा है। साथ ही वह अपने अधिकारों की पर्याप्त सुरक्षा की मांग भी कर रहा है। इस समुदाय की तीन प्रमुख मांग यह है कि सीमा का पुनर्निधारण किया जाए, आनुपातिक प्रतिनिधित्व शामिल किया जाए और आबादी के आधार पर संसदीय सीटों का आवंटन किया जाए।

संयुक्त मधेसी मोर्चा के वरिष्ठ नेताओं में तराई मधेस डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष महंत ठाकुर, मधेसी पीपुल्स राइट्स फोरम..नेपाल के प्रमुख उपेंद्र यादव, सदभावना पार्टी के प्रमुख राजेंद्र महतो, तराई मधेस सदभावना पार्टी के अध्यक्ष महेन्द्र यादव दिल्ली आए।

इन नेताओं ने शनिवार को नेपाल की बड़ी पार्टियों के साथ एक अहम बैठक की थी, जिनमें मुख्य विपक्षी नेपाली कांग्रेस और सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्य सीपीएन यूएमएल और एकीकृत सीपीएन-माओवादी शामिल थे। बैठक का उद्देश्य देश में मौजूद संकट के हल के तरीकों पर चर्चा करना था।

बैठक के दौरान उन्होंने अपनी 11 सूत्री मांग बड़ी राजनीतिक पार्टियों के समक्ष रखी, जिन्होंने इसके बदले में अपना तीन सूत्री एजेंडा मौजूदा राजनीतिक गतिरोध के हल के लिए पेश किया।

नेपाल में बड़े दलों ने तीन सूत्री समाधान का प्रस्ताव किया है, जिसमें संसद में संविधान संशोधन विधेयक पेश करना, प्रांतीय सीमा के पुनर्निर्धारण के मुद्दे के समाधान के लिए एक सर्वदलीय राजनीतिक समिति का गठन करना और मधेसी पार्टियों से नेपाल-भारत सीमा पर अपना आंदोलन वापस लेने के लिए कहना शामिल है।

नेपाल के उप-प्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री कमल थापा ने रविवार को उम्मीद जतायी कि सीमा पर भारत द्वारा की गई अघोषित नाकेबंदी जल्द ही खत्म हो जाएगी और परिवहन एवं आपूर्ति प्रबंध सुगम हो जाएगी। गौरतलब है कि मधेसी पार्टियों ने नए संविधान के खिलाफ पिछले तीन महीनों से आंदोलन छेड़ रखा है, जिससे नेपाल में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित हुई है।

नेपाल ने भारत पर नाकेबंदी करने का आरोप लगाया है। भारत नाकेबंदी में अपनी किसी भी भूमिका को दृढ़तापूर्वक खारिज करते हुए कह चुका है कि नए संविधान के विरोध में जारी हिंसक आंदोलन के चलते ट्रक चालक अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। इस हिंसा में 40 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

भारत जोर दे रहा है कि नेपाल की समस्या राजनीतिक प्रकृति की है, जिसका समाधान नेपाली नेतृत्व को बातचीत के जरिए निकालना होगा।

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