सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने NEET-PG की काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत दे दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने NEET PG परीक्षा में OBC को 27% और EWS को 10 फीसदी आरक्षण देने की वैधता बरकरार रखी है. कोर्ट के फैसले के बाद अब शैक्षणिक वर्ष 2021-22 में दाखिले की राह आसान हो गई है. आंदोलनरत डॉक्टरों ने भी इससे राहत की सांस ली है.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ए एस बोपन्ना की बेंच ने इससे पहले कल यानी गुरुवार को फैसला सुरक्षित रखते हुए टिप्पणी की थी कि वो राष्ट्र हित में काउंसलिंग को इजाजत देना चाहती है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने आज फैसला सुनाते हुए कहा कि ये कोटा वर्तमान साल से प्रभावी है. सुप्रीम कोर्ट EWS कोटे की वैधता पर मार्च में विस्तृत सुनवाई करेगी.
याचिकाओं में DGHS द्वारा 29 जुलाई को आरक्षण से जुड़ी नोटिस को चुनौती दी गई थी. DGHS की नोटिस में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण और 10% EWS को लागू किया गया था. याचिकाकर्ता डॉक्टर हैं जो NEET PG में उपस्थित हुए थे.
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इस मामले में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) की तरफ से भी अर्जी दी गई थी. फोर्डा की ओर से कहा गया था कि काउंसलिंग जल्द से जल्द शुरू करने की आवश्यकता है क्योंकि हम चिकित्सा कार्यबल की रीढ़ हैं. जमीनी स्तर पर जब कोविड की तीसरी लहर दरवाजे पर दस्तक दे रही है, हमें मैदान में डॉक्टरों की जरूरत है. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सिर्फ डॉक्टरों की नहीं बल्कि देश की चिंता है.
दूसरी तरफ से याचिकाकर्ता के वकील अरविंद दातार ने अपनी दलील में कहा था कि 8 लाख की आय सीमा ज्यादा है और मनमानी है. इससे उनको फायदा होगा, जो आर्थिक रूप से कमजोर नहीं हैं. जब वे क्रीमी लेयर को बाहर कर रहे हैं तो 8 लाख कैसे जायज है? वे कह रहे हैं कि उम्मीदवारों को घर पंजीकरण दस्तावेज/आय, संपत्ति प्रमाण पत्र दिखाने की जरूरत है. उम्मीदवारों को इतनी जल्दी सूचना पर दस्तावेज कहां से प्राप्त होंगे? वे पूरे देश पर एक फार्मूला थोपने की कोशिश कर रहे हैं जिसका कोई औचित्य नहीं है.
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मामले में 6 सितंबर को नोटिस जारी किया गया था और 28 सितंबर को परिणाम घोषित किए गए थे. 7 अक्टूबर 2021 को कोर्ट ने दलीलें सुनी थीं. उसके बाद अदालत ने 21 अक्टूबर को इस पर स्पष्टीकरण मांगा था. इस संबंध में केंद्र को 2 सप्ताह का समय भी दिया गया था.
हालांकि, 25 अक्टूबर को केंद्र ने अपनी मर्जी से काउंसलिंग टाल दी थी और 26 अक्टूबर को कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. बाद में एसजी ने अदालत को सूचित किया था कि केंद्र ने मानदंडों पर फिर से विचार करने का फैसला किया है. तब कोर्ट ने उसे समय दिया था. इस दिशा में केंद्र ने 30 नवंबर को कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने 31 दिसंबर, 2021 को अपनी रिपोर्ट सरकार को दे दी थी.
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