पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर आज बीजेपी में शामिल होंगे. सोमवार को उन्होंने राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दिया था और समाजवादी पार्टी छोड़ने का ऐलान किया था. उनके इस फैसले पर सपा में पूरी तरह से चुप्पी छाई थी. लेकिन आज नीरज शेखर के इस्तीफे पर पूछे गए सवाल पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव ने कहा, 'आज गुरु पूर्णिमा है.. मैं उन्हें आर्शीवाद देता हूं. खुश रहें. राजनीतिक पार्टी एक ट्रेन की तरह होती है, लोग चढ़ते हैं उतर जाते हैं लेकिन ट्रेन चलती रहती है'. इससे पहले राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने मंगलवार को सदन को सूचित किया कि उन्होंने समाजवादी पार्टी के नेता नीरज शेखर का उच्च सदन की सदस्यता से इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. सदन की बैठक शुरू होने पर नायडू ने नीरज शेखर के इस्तीफे का जिक्र करते हुए कहा ‘‘मैंने जांच की और शेखर से बात भी की. मैंने पाया कि यह इस्तीफा नीरज ने स्वेच्छा से दिया है. पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद मैंने 15 जुलाई से उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है.
नायडू ने कहा कि राज्यसभा के नियम 213 (सदन संचालन से संबंधित नियम एवं प्रक्रिया) के तहत उन्होंने नीरज शेखर का इस्तीफा स्वीकार किया है. इस नियम के अनुसार, अगर कोई सदस्य सदन की सदस्यता से इस्तीफा देना चाहता है तो उसे लिखित में इस्तीफा देना होगा और सभापति को इसकी सूचना देना होगा. अगर सभापति इस्तीफे को लेकर संतुष्ट हो जाते हैं तो वह इसे तत्काल स्वीकार कर सकते हैं. नायडू ने बताया कि नीरज शेखर ने उनसे मुलाकात की थी. उन्होंने नीरज शेखर से पूछा था कि क्या यह इस्तीफा उन्होंने स्वेच्छा से दिया है और क्या वह इस पर दोबारा विचार करना चाहेंगे?
सभापति के अनुसार, नीरज शेखर ने उनसे कहा कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया है और वह इस पर पुनर्विचार नहीं करना चाहते. गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री एवं समाजवादी नेता चंद्रशेखर के पुत्र नीरज शेखर ने सोमवार को राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. पचास वर्षीय नीरज शेखर दो बार लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं. 2007 में अपने पिता के निधन के बाद बलिया लोकसभा सीट से वह पहली बार सांसद निर्वाचित हुए थे. 2009 में उन्होंने इसी सीट से दोबारा लोकसभा के लिए जीत हासिल की. इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में हार जाने के बाद समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा के लिए नमित किया. उच्च सदन में नीरज शेखर का कार्यकाल नवंबर 2020 में समाप्त होने वाला था.
"चंद्रशेखर के परिवार से किसी का न लड़ना बलिया का अपमान"
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