पड़ताल करते एनडीटीवी इंडिया के रविश रंजन शुक्ला (दाएं)
नई दिल्ली:
नगर निगम की ओर से बांटी जा रही करीब 2 लाख पेंशनों में भारी धांधली हो रही है। एनडीटीवी के पास जब कुछ वार्डों के पेंशनर की लिस्ट पहुंची तो पता चला कि निगम की पेंशन कहीं बड़े मॉल को मिल रही हैं तो कहीं कूड़ाघर और कहीं तो बैंक के पते पर तीन साल से पेंशन जा रही है।
सवाल ये उठता है कि इन पतों से ली जाने वाली पेंशन आखिर किसके खाते में जा रही है, जबकि निगम की ओर से दी जानी वाली बेसहारा पेंशन, बुजुर्ग पेंशन और विधवा पेंशन के लिए बीते पांच साल से एक पते पर रहना जरूरी है। यही नहीं, हर साल निगम में मार्च में इन पेंशनर की स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल होती है।
पेंशन पाने वालों के पते को जब हमने खुद जांचने की कोशिश की तो पता चला कि 153 काकरोला हाउसिंग कांप्लेक्स का पता देकर सात पेंशन लगी है। लेकिन, यहां एक मॉल खड़ा मिला, जहां नीचे रिलायंस फ्रेश और दूसरी मंजिल पर गारमेंट का शो रूम मिला। दोनों लोगों से बात करने पर पेंशन पाने वाले किसी भी शख्श का कोई अतापता नहीं मिला।
इसी तरह पालम विहार वार्ड में पेंशन लेने वाले पते पर आईसीआईसी बैंक मिला। यहां इस काम्प्लेक्स के मालिक से हमने बात की तो उन्होंने भी पेंशनर के नाम से अनभिज्ञता जाहिर की। एक पते पर हमें कूड़ाघर मिला पता चला कि 12 साल पहले ही पेंशन लेने वाला शख्श ये मकान बेचकर कहीं चला गया।
ये ऐसे पेंशनर हैं जो तीन-तीन साल से एक हज़ार रुपए मासिक पेंशन ले रहे हैं। हालांकि, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर सुभाष आर्या कहते हैं कि हम सीधे खाते में पैसा ट्रांसफर करते हैं। ऐसे में धांधली होने की उम्मीद कम है।
लेकिन, सवाल ये उठता है कि जिन जरूरतमंद लोगों के लिए ये पेंशन दी जा रही है, क्या उन्हें इसका फायदा मिल रहा है या पार्षद से मिलीभगत करके पेंशन का लाभ कोई बिचौलिया उठा रहा है। इस बात की तहकीकात करने की जरूरत है तभी दूध का दूध और पानी का पानी होगा।
सवाल ये उठता है कि इन पतों से ली जाने वाली पेंशन आखिर किसके खाते में जा रही है, जबकि निगम की ओर से दी जानी वाली बेसहारा पेंशन, बुजुर्ग पेंशन और विधवा पेंशन के लिए बीते पांच साल से एक पते पर रहना जरूरी है। यही नहीं, हर साल निगम में मार्च में इन पेंशनर की स्टेटस रिपोर्ट भी दाखिल होती है।
पेंशन पाने वालों के पते को जब हमने खुद जांचने की कोशिश की तो पता चला कि 153 काकरोला हाउसिंग कांप्लेक्स का पता देकर सात पेंशन लगी है। लेकिन, यहां एक मॉल खड़ा मिला, जहां नीचे रिलायंस फ्रेश और दूसरी मंजिल पर गारमेंट का शो रूम मिला। दोनों लोगों से बात करने पर पेंशन पाने वाले किसी भी शख्श का कोई अतापता नहीं मिला।
इसी तरह पालम विहार वार्ड में पेंशन लेने वाले पते पर आईसीआईसी बैंक मिला। यहां इस काम्प्लेक्स के मालिक से हमने बात की तो उन्होंने भी पेंशनर के नाम से अनभिज्ञता जाहिर की। एक पते पर हमें कूड़ाघर मिला पता चला कि 12 साल पहले ही पेंशन लेने वाला शख्श ये मकान बेचकर कहीं चला गया।
ये ऐसे पेंशनर हैं जो तीन-तीन साल से एक हज़ार रुपए मासिक पेंशन ले रहे हैं। हालांकि, दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के मेयर सुभाष आर्या कहते हैं कि हम सीधे खाते में पैसा ट्रांसफर करते हैं। ऐसे में धांधली होने की उम्मीद कम है।
लेकिन, सवाल ये उठता है कि जिन जरूरतमंद लोगों के लिए ये पेंशन दी जा रही है, क्या उन्हें इसका फायदा मिल रहा है या पार्षद से मिलीभगत करके पेंशन का लाभ कोई बिचौलिया उठा रहा है। इस बात की तहकीकात करने की जरूरत है तभी दूध का दूध और पानी का पानी होगा।