प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
नीति आयोग ने रिपोर्ट जारी की है कि भारत अपने बदतरीन जल संकट से गुज़र रहा है. आधी आबादी के पास पीने का पानी नहीं है. संकट और बड़ा हो सकता है. एनडीटीवी ने ज़मीन पर जाकर देखने की कोशिश की कि वहां क्या हालात हैं. यमुना से लगे गांवों से हिमांशु शेखर की रिपोर्ट.
यमुना से सटे यमुना खादर गांव में रहने वाले देवेंद्र यादव सब्जियां उगाकर परिवार चलाते हैं...यमुना से सटे होने की वजह से पानी तो मिल जाता है...लेकिन गंदा पानी- जिसे पिया नहीं जा सकता. लेकिन फिर भी पीना पड़ता है. देवेंद्र यादव कहते हैं, "कोई दूसरा विकल्प नहीं है. कुछ ही घंटे में बोरवेल का पानी पीला पड़ जाता है...लेकिन क्या करें? बच्चों को भी पिलाते हैं और खुद भी वही पानी पीते हैं. पीने का साफ पानी कहां से लाएं?"
इसी गांव में गुड्डो देवी अपने बच्चों के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहती हैं. कहती हैं...बर्तन पीले पड़ जाते हैं क्योंकि पानी काफी गंदा है. गुड्डो देवी कहती हैं बोरवेल का पानी बाद में इतना गंदा हो जाता है कि बर्तन भी पीले पड़ने लगते हैं. कई बार बच्चे बीमार भी हो जाते हैं लेकिन इस पानी का इस्तेमाल करने के अलावा कोई विकल्प गांव में नहीं है.
यह भी पढ़ें : नीति आयोग की रिपोर्ट में खुलासा: इतिहास के सबसे बड़े जल संकट से जूझ रहा है देश
यमुना से सटे गांवों में नल के पानी की सप्लाई की सुविधा नहीं है...लिहाज़ा लोगों को बोरवेल और चापाकल पर पूरी तरह निर्भर रहना होता है. पास में ही चिल्ला गांव भी है. यहां भी यमुना खादर गांव का ही हाल है.किसान संजीव सब्जी उगाते हैं. कहते हैं - बोरवेल का पानी सब्जी की सिंचाई के लिए तो ठीक है लेकिन और किसी लायक नहीं. उनकी रिश्तेदार मनोरमा कहती हैं, दिल्ली जल बोर्ड का टैंकर एक बार गांव में आता है. पीने का पानी उसी से मिलता है. लेकिन अगर टैंक नहीं आया तो पूरी तरह बोरवेल के पानी पर निर्भर हैं. भू-जल का स्तर इस इलाके में अच्छा है लेकिन पानी की क्वालिटी काफी खराब है.
VIDEO : यमुना से सटे गांवों का हाल बुरा
गुरुवार को ही नीति आयोग ने भारत के इतिहास के सबसे बड़े जल संकट की रिपोर्ट दी है. यमुना नदी के तट पर बसे ये दोनों गांव नीति आयोग की इसी रिपोर्ट का आईना हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 60 करोड़ भारतीय नागरिक...यानी देश की लगभग आधी आबादी को पानी की भयंकर कमी से जूझना पड़ा रहा है. 2030 तक भारत में कुल ज़रूरत का आधा पानी ही उपलब्ध होगा. 75% घरों में पीने का पानी घर के अहाते में उपलब्ध नहीं है. 84% ग्रामीण घरों में पाइप से जलापूर्ति की सुविधा नहीं है. 70% पानी प्रदूषित हो चुका है.
यमुना से सटे यमुना खादर गांव में रहने वाले देवेंद्र यादव सब्जियां उगाकर परिवार चलाते हैं...यमुना से सटे होने की वजह से पानी तो मिल जाता है...लेकिन गंदा पानी- जिसे पिया नहीं जा सकता. लेकिन फिर भी पीना पड़ता है. देवेंद्र यादव कहते हैं, "कोई दूसरा विकल्प नहीं है. कुछ ही घंटे में बोरवेल का पानी पीला पड़ जाता है...लेकिन क्या करें? बच्चों को भी पिलाते हैं और खुद भी वही पानी पीते हैं. पीने का साफ पानी कहां से लाएं?"
इसी गांव में गुड्डो देवी अपने बच्चों के साथ एक छोटी सी झोपड़ी में रहती हैं. कहती हैं...बर्तन पीले पड़ जाते हैं क्योंकि पानी काफी गंदा है. गुड्डो देवी कहती हैं बोरवेल का पानी बाद में इतना गंदा हो जाता है कि बर्तन भी पीले पड़ने लगते हैं. कई बार बच्चे बीमार भी हो जाते हैं लेकिन इस पानी का इस्तेमाल करने के अलावा कोई विकल्प गांव में नहीं है.
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यमुना से सटे गांवों में नल के पानी की सप्लाई की सुविधा नहीं है...लिहाज़ा लोगों को बोरवेल और चापाकल पर पूरी तरह निर्भर रहना होता है. पास में ही चिल्ला गांव भी है. यहां भी यमुना खादर गांव का ही हाल है.किसान संजीव सब्जी उगाते हैं. कहते हैं - बोरवेल का पानी सब्जी की सिंचाई के लिए तो ठीक है लेकिन और किसी लायक नहीं. उनकी रिश्तेदार मनोरमा कहती हैं, दिल्ली जल बोर्ड का टैंकर एक बार गांव में आता है. पीने का पानी उसी से मिलता है. लेकिन अगर टैंक नहीं आया तो पूरी तरह बोरवेल के पानी पर निर्भर हैं. भू-जल का स्तर इस इलाके में अच्छा है लेकिन पानी की क्वालिटी काफी खराब है.
VIDEO : यमुना से सटे गांवों का हाल बुरा
गुरुवार को ही नीति आयोग ने भारत के इतिहास के सबसे बड़े जल संकट की रिपोर्ट दी है. यमुना नदी के तट पर बसे ये दोनों गांव नीति आयोग की इसी रिपोर्ट का आईना हैं. नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 60 करोड़ भारतीय नागरिक...यानी देश की लगभग आधी आबादी को पानी की भयंकर कमी से जूझना पड़ा रहा है. 2030 तक भारत में कुल ज़रूरत का आधा पानी ही उपलब्ध होगा. 75% घरों में पीने का पानी घर के अहाते में उपलब्ध नहीं है. 84% ग्रामीण घरों में पाइप से जलापूर्ति की सुविधा नहीं है. 70% पानी प्रदूषित हो चुका है.
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