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This Article is From Mar 14, 2019

NDTV Exclusive: यह है बालाकोट IAF एयर स्ट्राइक की अनदेखी तस्वीर

बालाकोट एयर स्ट्राइक : एनडीटीवी के पास आतंकियों के हॉस्टल मरकज़ की फोटो, हमले के बाद प्रकाशित सभी फोटो की तुलना अधिक साफ तस्वीर

NDTV Exclusive: यह है बालाकोट IAF एयर स्ट्राइक की अनदेखी तस्वीर
NDTV को बालाकोट में IAF के हवाई हमले के बाद की बहुत साफ फोटो मिली है.
नई दिल्ली:

पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए मोहम्मद के आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप पर भारतीय वायुसेना के हवाई हमले का एक फोटो NDTV की नजर में आया है. यह मोनोक्रोम हाईरिजोल्यूशन फोटो है. यह जैश आतंकियों के उस हॉस्टल का फोटो है जिस पर हमले का जिम्मा भारतीय वायुसेना को मिला था.     

गत 26 फरवरी को किए गए बालाकोट हमले की प्रकाशित सभी तस्वीरों में से यह फोटो सबसे अधिक स्पष्ट है.  तस्वीर में दिखाई दे रहे घर की छत ढलान वाली है जैसी कि आम तौर पर पहाड़ी इलाकों में होती है. इसमें से एक ढलान वाली छत पर तीन निशान साफ तौर पर दिखाई दे रहे हैं जिन्हें 'होल्स' कहा जा रहा है. इस तरह के प्रत्येक छेद का व्यास एक मीटर है. सेटेलाइट इमेज के प्रिंटआउट में यह साफ तौर पर दर्शाया गया है. यह विवरण डोजियर में शामिल किया गया है, जिसे कि हिंदुस्तान टाइम्स ने बालाकोट हमले का असर बताया है.   

हिंदुस्तान टाइम्स ने कहा है कि, 'रिपोर्ट के अनुसार टारगेटों के बीच वह गेस्ट हाउस, जिसमें कैंप, मरकज या हॉस्टल के दौरे के दौरान आम तौर पर मौलाना मसूद अजहर, उसका भाई अब्दुल रऊफ अजहर और जैश-ए-मोहम्मद के दिग्गज कर्ताधर्ता रुकते थे ध्वस्त कर दिया गया.'  

 

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हॉस्टल जैश के लंबे-चौड़े इलाके के उत्तरी हिस्से में स्थित है जिसकी चौड़ाई 40 फीट है. इसका विवरण 'गूगल अर्थ प्रो' में अंकित है. इसकी लंबाई करीब 35 फीट प्रतीत होती है.  

 

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हॉस्टल के एक हिस्से की सैटेलाइट इमेज भारतीय वायुसेना के हमले के छह दिन बाद 4 मार्च को रॉयटर्स ने जारी की. रॉयटर्स द्वारा सौंपी गई सैटेलाइट इमेज में स्पष्ट रूप से मिट्टी का एक धब्बा देखा जा सकता है. सूत्रों का कहना है कि हॉस्टल के अलावा, दो अन्य इमारतों को भी निशाना बनाया गया. 'एक (बम) प्रशिक्षकों और सीनियर हॉस्टल के लिए, और एक (बम) गेस्ट हाउस के लिए.''

यह दोनों इमारतें मैदान के दक्षिण में स्थित हैं और पेड़ों की आड़ में हैं. जारी की गईं एयर स्ट्राइक के पहले और स्ट्राइक के बाद में जारी कि गए फोटोग्राफों में यह स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देती हैं. हालांकि, वायु सेना का कहना है कि उनके पास सैटेलाइट फोटो हैं जो स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि इन इमारतों पर हमला किया गया है.

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सैटेलाइट इमेजरी विशेषज्ञों ने पहले की रिपोर्टों  में कहा था कि बालाकोट कैंप में सबसे बड़ी संरचना में बम के हमले के निशान दिखाई दे रहे थे. इस संरचना को "हॉल" बताया गया था. अब यह स्पष्ट नहीं है कि हॉल पर हमला किसी अन्य हथियार से किया गया था या दिखाया गया नुकसान 3 स्पाइस 2000 बम के विस्फोट का परिणाम है.

सभी मामलों में इस्तेमाल की गई वैपन एक इजरायली-डिज़ाइन किया गया स्मार्ट मुनीशन है, जिसे स्पाइस 2000 कहा जाता है. यह एक लंबी दूरी का ग्लाइड बम का हमला था जिसमें टारगेट के लिए सैटेलाइट से गाइडेंस लिया जाता है.

हमले के दौरान आसपास के इलाके में क्षति को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए इस हथियार से तय लक्ष्य के आसपास के तीन मीटर क्षेत्र में ही इसका असर होता है. IAF ने स्पाइस 2000 के एक पेनेट्रेटर वैरिएंट का इस्तेमाल किया, जो कि छतों और फर्श को भेद डालता है और तय की गई गहराई पर जाकर विस्फोट करता है.  

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एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एक टारगेट (हॉस्टल) पर तीन वैपन गिराए गए, जो कि हिट करने वाले पॉइंट के 1.5 से 3 मीटर के भीतर थे. अन्य दो वैपनों ने बिना किसी त्रुटि के अपने टारगेट को सटीक रूप से मारा. भारतीय वायुसेना के इस मिशन में मिराज 2000 विमानों में छह वैपनों को हमले के लिए शामिल गया था. पांच बम गिराए गए और सभी पांचों ने अपने निर्धारित लक्ष्यों को भेदा.

सैटेलाइट इमेजरी को हासिल करना भारतीय वायु सेना के लिए समस्या रहा है, NDTV को पता चला है कि सबसे अच्छी इमेज एक मित्र राष्ट्र से हासिलस हो सकीं. 26 फरवरी की सुबह भारतीय वायुसेना के हमले के बाद के कुछ घंटों के दौरान बालाकोट में टारगेट के पास बादलों की मौजूदगी के कारण सैटेलाइट से सरकार को हालात का पता नहीं चल सका था.

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यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार कभी भी हमले की तस्वीरें जारी करेगी या नहीं. अंतरराष्ट्रीय मीडिया और सुरक्षा विशेषज्ञों ने जैश के प्रशिक्षण कैंप पर IAF के हमले की सफलता पर सवाल उठाए हैं. वे कहते हैं कि व्यावसायिक रूप से उपलब्ध फुटेज महत्वपूर्ण क्षति नहीं दिखाते हैं और यह भी साफ तौर पर सामने नहीं आ सका है कि कोई संरचना ध्वस्त हुई है. मिडलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में ईस्ट एशिया नॉनप्रोलिफरेशन प्रोजेक्ट के निदेशक जेफरी लेविस कहते हैं, "उच्च-रिज़ोल्यूशन की इमेज बम से हुई क्षति का कोई सबूत नहीं दिखाती हैं."

भारतीय वायु सेना इसका मुखरता से प्रतिकार करती है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने NDTV को स्पाइस 2000 के काम करने का तरीका बताया है और कहा है कि हथियार जरूरी नहीं कि सभी इमारतों को नीचे गिराएं. ''यह एक सीमित कमरे के भीतर दबाव के साथ विस्फोट से सभी सॉफ्ट स्किन टारगेट को मारता है. एक उन्नत फ़्यूज़ का विकल्प होता है जो फ्लोरों की गिनती भी कर सकता है.'' बालाकोट के मामले में, विस्फोट से पहले दो मंजिला इमारत को भेदने के लिए कम से कम एक स्पाइस 2000 स्मार्ट बम को सेट किया गया था.

VIDEO : कितनी सफल रही एयर स्ट्राइक

यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि सरकार बालाकोट हमले की सैटेलाइट इमेजें जारी करेगी या उसका खत्म किए गए आतंकवादियों की संख्या पर और सबूत देने का इरादा है. हालांकि, यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि तस्वीरें कोई बड़ा धमाका नहीं दिखाती हैं. हालांकि, बालाकोट में आतंकी ठिकाने के भीतर चयनित लक्ष्यों पर सटीक हमले के स्पष्ट सबूत हैं.

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