दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (Delhi Police Crime Branch Naxalite Leader) ने एक ऐसे नक्सली नेता (Naxalite leader) को गिरफ्तार किया है जिसने 26 साल पहले बिहार में एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी थी,इसके बाद 2002 में एक ट्रेन दुर्घटना में उसने खुद को मरा घोषित करवा दिया ,उसका नकली दाह संस्कार भी करवाया गया और बिहार पुलिस ने उसकी तलाश भी बंद कर दी लेकिन असल में वो नाम और पहचान बदलकर फरीदाबाद में रह रहा था उसे दिल्ली पुलिस ने पुल प्रह्लादपुर इलाके से गिरफ्तार कर लिया है. क्राइम ब्रांच के अधिकारियों के मुताबिक. 7 अप्रैल को एक सूचना मिली कि एक शख्स जिसका नाम किशुन पंडित है और वो श्रीपालपुर पटना का रहने वाला है वो आईपीएफ माले (बिहार में 1990 के दशक में सक्रिय एक नक्सली संगठन) का नेता है और 1996 में एक पुलिस अधिकारी की हत्या ,पुलिस की राइफल और 40 कारतूस छीनने में शामिल है वो वर्तमान में फर्जी पहचान के साथ फरीदाबाद में रह रहा है.
इस सूचना पर काम करते हुए एक टीम को पटना के पुनपुन में भेजा गया और अदालत के दस्तावेजों की जांच के दौरान यह पाया गया कि 23 नवंबर 1996 को पटना के पुन पुन थाने की पुलिस पार्टी ने एक गोली की आवाज सुनी और देवेंद्र सिंह का एक शव मिला, जो आईपीएफ माले ( नक्सली संगठन) का जिला प्रमुख था. कानूनी कार्यवाही करते हुए पुलिस पार्टी शव को वहां से ले जा रही थी इस बीच आईपीएफ माले के नेता किशुन पंडित अपने लगभग 2000 समर्थकों के साथ लाठी, दरांती और अन्य हथियारों से लैस होकर वहां आए.
किशुन पंडित संगठन का नेतृत्व कर रहा था और उसने पुलिस दल पर हमला किया और एक पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी और अन्य 3 पुलिस अधिकारियों को बेरहमी से घायल कर दिया. उसने और उसके साथियों ने पुलिस अधिकारियों से एक राइफल और 40 राउंड कारतूस भी छीन लिए. उसके बाद हमलावर अपने नेता देवेंद्र सिंह के शव को भी अपने साथ ले गए, तब से किशुन पंडित फरार था.
उस पर 1 लाख रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था, लेकिन उसे इस मामले में गिरफ्तार नहीं किया जा सका और वह फरार रहा.दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को 8 अप्रैल को सूचना मिली कि किशन पंडित पुल प्रहलादपुर क्षेत्र के सीएनजी पंप के पास आएगा उसी पर कार्रवाई करते हुए उसे वहां से पकड़ लिया गया शुरुआत में उन्होंने खुद को किशन पंडित के बजाय लक्ष्मी पंडित बताया और कहा कि वो सूरजकुंड में रहता है लेकिन उसके घर से बिहार का एक भूमि रिकॉर्ड बरामद किया गया था. जिसमें किशुन पंडित लिखा हुआ था,साथ ही उनकी पत्नी का एक आधार कार्ड भी बरामद किया गया जिसमें उनका नाम किशुन पंडित था.पूछताछ के दौरान 60 साल के आरोपी किशुन ने खुलासा किया कि 1990 में बिहार में अमीर जमींदार गरीबों पर अत्याचार करते थे, उनके खिलाफ लड़ने के लिए विनोबा मिश्रा द्वारा आईपीएफ माले समूह की स्थापना की गई थी.
देवेंद्र सिंह पटना क्षेत्र में संगठन के जिला प्रमुख थे और किशुन पंडित पटना जिले के दूसरे कमांड के रूप में समूह में शामिल हुए और उन्हें नेताजी के नाम से जाना जाता था क्योंकि उनकी जन्म तिथि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के समान थी. किशुन पंडित पहले भी अपहरण के एक मामले में शामिल था, जहां 1994 में किशुन पंडित और उसके गिरोह के सदस्यों ने एक जमींदार चतुर सिंह के सहयोगी साधु पासवान का अपहरण कर लिया उसे उस मामले में गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था. अपहरण के मामले के बाद भी उसने अपने संगठन के लिए सक्रिय रूप से काम करना जारी रखा.इसके बाद पुलिस अधिकारी की हत्या में एफआईआर में नामित 31 आरोपियों में किशुन सहित 4 आरोपी फरार थे.
उनकी गिरफ्तारी से बचने के लिए किशुन पंडित फरार हो गया और फरीदाबाद पहुंच गया और अपनी पहचान बदलकर सुलेन्दर पंडित कर लिया और तब से वहां रह रहा था.साल 2002 में अदालत के आदेश से बिहार में उनके घर को जब्त कर लिया गया था. इसी अवधि के दौरान दिल्ली से पटना जाते समय श्रम जीव एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कई लोग हताहत हुए. किशुन पंडित ने घटना का फायदा उठाया और बिहार में अपने परिवार के सदस्यों को ग्रामीणों को यह बताने का निर्देश दिया कि किशुन पंडित की भी ट्रेन दुर्घटना में मृत्यु हो गई. उनके परिवार के सदस्यों ने भी गांव में उनका अंतिम संस्कार किया. इस खबर के बाद पुलिस ने किशुन पंडित की तलाश बंद कर दी.
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