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This Article is From Feb 20, 2011

बंधक संकट : सरकार, मध्यस्थों के बीच वार्ता जारी

भुवनेश्वर: नक्सलियों द्वारा अगवा जिलाधिकारी और जूनियर इंजीनियर की रिहाई का प्रयास तेज करते हुए उड़ीसा सरकार ने दो मध्यस्थों के साथ वार्ता शुरू की। दोनों मध्यस्थों के नामों का चयन नक्सलियों ने किया है। राज्य के गृह सचिव यूएन बेहरा ने बताया कि सरकार के दो वरिष्ठ अधिकारियों ने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों जी. हरगोपाल और आर. सोमेश्वर राव के साथ रिहाई के मुद्दों पर लम्बी वार्ता की। दोनों मध्यस्थ रविवार सुबह यहां पहुंचे। मध्यस्थों के साथ वार्ता में शामिल बेहरा ने पत्रकारों को बताया कि मध्यस्थों के साथ बातचीत जारी है और मलकानगिरी के जिलाधिकारी आर. विनील कृष्णा एवं जूनियर इंजीनियर पवित्र मोहन माझी सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा, "हम सभी पहलुओं पर बातचीत कर रहे हैं। जिलाधिकारी और जूनियर इंजीनियर ठीक ठाक और सुरक्षित हैं।" बेहरा से यह पूछे जाने पर कि क्या मध्यस्थों में से कोई मलकानगिरी जिला जा सकता है। इस पर उन्होंने कहा कि इस बारे में अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि मध्यस्थों के साथ अपराह्न में दोबारा शुरू हुई वार्ता कई घंटे चल सकती है। सूत्रों ने बताया कि सरकार कई जेलों में बंद नक्सली नेताओं के ऊपर लगे आरोपों की समीक्षा करने की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। नक्सलियों के साथ वार्ता प्रक्रिया शुरू करने के लिए सरकार अपने वकीलों को यह कह सकती है कि वे नक्सलियों की रिहाई के लिए उनके वकीलों द्वारा दायर याचिका पर आपत्ति न उठाएं। ज्ञात हो कि उड़ीसा के मलकानगिरी के जिलाधिकारी आर. विनील कृष्णा और उनके साथ मौजूद एक जूनियर इंजीनियर को नक्सलियों ने बुधवार शाम को अगवा कर लिया था। दोनों अधिकारियों को अगवा करने के बाद नक्सलियों ने उनकी रिहाई पर मध्यस्थता करने के लिए सरकार को दो नाम सुझाए। इसके बाद सरकार ने शुक्रवार को मानवाधिकार कार्यकताओं और शिक्षाविदों जी. हरगोपाल और आर. सोमेश्वर राव को मध्यस्थता करने का अनुरोध किया। सूत्रों ने बताया कि सरकार द्वारा नक्सली विचारक गांती प्रसादम को रिहा करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार यह कदम मध्यस्थता करने वालों के सुझाव पर उठा रही है। मध्यस्थों का कहना है कि प्रसादम की रिहाई से बातचीत की प्रक्रिया जोर पकड़ेगी। अधिकारियों ने  हालांकि इस मसले पर टिप्पणी करने से इनकार किया है। दिल्ली से एक स्थानीय टेलीविजन को दिए साक्षात्कार में हरगोपाल ने कहा, "मैं प्रसादम की रिहाई के लिए उड़ीसा सरकार से अनुरोध करता हूं।" उन्होंने कहा, "उसके बाहर आने पर शायद मैं और आरएस राव मामले में हस्तक्षेप करने का प्रयास करेंगे। प्रसादम भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की ओर से नक्सलियों से बात कर सकता है। हम सम्भवत: कोई हल निकाल सकते हैं।" सूत्रों के मुताबिक आंध्र प्रदेश की जेल में बंद प्रसादम को राज्य पुलिस शनिवार रात ही यहां ला चुकी है। राज्य के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए बताया, "प्रसादम को कोरापुत जेल में रखा गया है।" उन्होंने कह कि प्रसादम के वकील ने शनिवार को एक स्थानीय अदालत में जमानत के लिए आवेदन किया था जिसे खारिज कर दिया गया। उसकी जमानत के लिए सोमवार को एक बार फिर जमानत याचिका पेश की जा सकती है। नक्सलियों ने राज्य के जेलों में बंद अपने साथियों की रिहाई की भी मांग की है। इनमें से कम से कम सात कट्टर नक्सली हैं।

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