केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (फाइल फोटो)
लखनऊ:
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को कहा कि साम्यवाद का मॉडल विफल हो गया है और समाजवाद के नाम पर चल रही सरकारें भी विकास के मामले में विफल साबित हो रही हैं। ऐसे में राष्ट्रवाद ही एकमात्र विकल्प बचता है जो 'सबका साथ, सबका विकास' की बात करता है।
गडकरी ने लखनऊ में महामना मालवीय मिशन के काशी हिंदू विश्वविद्यालय समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'साम्यवाद जहां पैदा हुआ था, वहीं मरने की कगार पर है... चीन में झंडा भर बचा है और वह भी अमेरिका के रास्ते पर चल पड़ा है। समाजवाद के नाम पर चल रही सरकारें भी विकास के मामले में विफल साबित हो रही हैं और ऐसे में राष्ट्रवाद ही एक विकल्प बचता है जो 'सबका साथ, सबका विकास' की बात करता है।'
उन्होंने कहा कि आज के राजनेता चुनाव जीतने और अगले पांच साल तक की बात ही सोचते हैं, जबकि सामजिक-आर्थिक क्रांति करने वाले महामना मदन मोहन मालवीय, विवेकानंद और अंबेडकर जैसे महापुरुष आने वाली सदियों और पीढ़ियों के बारे में सोचते थे।
समाज में कथित रूप से असहिष्णुता के शोर के बीच गडकरी ने स्वामी विवेकानंद के हवाले से कहा कि सहिष्णुता हमारे जीवन दर्शन का मूल तत्व है और हमें इसे किसी से सीखने की जरूरत नहीं है।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
गडकरी ने लखनऊ में महामना मालवीय मिशन के काशी हिंदू विश्वविद्यालय समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 'साम्यवाद जहां पैदा हुआ था, वहीं मरने की कगार पर है... चीन में झंडा भर बचा है और वह भी अमेरिका के रास्ते पर चल पड़ा है। समाजवाद के नाम पर चल रही सरकारें भी विकास के मामले में विफल साबित हो रही हैं और ऐसे में राष्ट्रवाद ही एक विकल्प बचता है जो 'सबका साथ, सबका विकास' की बात करता है।'
उन्होंने कहा कि आज के राजनेता चुनाव जीतने और अगले पांच साल तक की बात ही सोचते हैं, जबकि सामजिक-आर्थिक क्रांति करने वाले महामना मदन मोहन मालवीय, विवेकानंद और अंबेडकर जैसे महापुरुष आने वाली सदियों और पीढ़ियों के बारे में सोचते थे।
समाज में कथित रूप से असहिष्णुता के शोर के बीच गडकरी ने स्वामी विवेकानंद के हवाले से कहा कि सहिष्णुता हमारे जीवन दर्शन का मूल तत्व है और हमें इसे किसी से सीखने की जरूरत नहीं है।
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