
सोनिया गांधी और राहुल गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नेशनल हेराल्ड मामले में 19 तारीख यानी कल (शनिवार) को दिल्ली की अदालत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पेश होंगे। मिली जानकारी के अनुसार, शुक्रवार को इस मामले में सोनिया ने पार्टी के नेताओं को निर्देश दिया है कि नेता दफ्तर में ही रहेंगे, उन्हें कोई ड्रामा नहीं चाहिए। इस मामले से संबंधित नेता ही कोर्ट जाएंगे।
नहीं भरा है बेल बॉन्ड...
वैसे नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अपनी रणनीति में अदालत के बजाए राजनैतिक तरीकों को अपनाती दिख रही है। कांग्रेस नेताओं की यदि मानें तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इस बाबत बेल के लिए बॉन्ड तक नहीं भरा। नियम के अनुसार, अदालत में जमानत के वक्त जज आरोपी से पूछते हैं कि आप ने बेल बॉन्ड भरा है या नहीं, तो वहां बताना पड़ता है कि हां हमने ऐसा किया है। यह अदालत को भरोसा दिलाने के लिए है कि आरोपी बिना अदालत की अनुमति के देश छोड़ कर बाहर नहीं जाएंगे, अदालत के बुलाने पर पेश होंगे। कांग्रेस को लगता है कि जिस तरह से 1977 के बाद तब की सरकार ने इंदिरा गांधी को केस में फंसाया था और इंदिरा ने उनका डटकर मुकाबला किया, अब कांग्रेस की रणनीति है कि हेराल्ड मामले पर भी आक्रामक रवैया अपनाया जाए और जेल जाने की हालत में भी झिझका नहीं जाए। (इस बाबत मनोरंजन भारती की रिपोर्ट यहां पढ़ें)
नेशनल हेराल्ड की जगह कमर्शियल इमारत का निर्माण जांच के दायरे में
यहां बता दें कि नेशनल हेराल्ड की जगह पर कमर्शियल इमारत के निर्माण का मामला अब जांच के दायरे में आ चुका है। महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने इसका ऐलान किया। 1983 में अखबार के दफ्तर के लिए मुम्बई के बांद्रा इलाके में 3478 वर्ग मीटर का प्लॉट दिया गया था।
मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार ने सदन में बहस के दौरान दावा किया था कि नेशनल हेराल्ड के लिए असोसिएट जर्नल को दिए गए प्लाट के इस्तेमाल में कई गलतियां हुई हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। (इस बाबत पूरी खबर यहां क्लिक करके पढ़ें)
नेशनल हेराल्ड की मुम्बई की जमीन का गड़बड़झाला आरटीआई से उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि अगर सही दिशा में जांच हुई तो इससे होने वाले कई खुलासे कांग्रेस को परेशान कर सकते हैं।
नहीं भरा है बेल बॉन्ड...
वैसे नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस अपनी रणनीति में अदालत के बजाए राजनैतिक तरीकों को अपनाती दिख रही है। कांग्रेस नेताओं की यदि मानें तो सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने इस बाबत बेल के लिए बॉन्ड तक नहीं भरा। नियम के अनुसार, अदालत में जमानत के वक्त जज आरोपी से पूछते हैं कि आप ने बेल बॉन्ड भरा है या नहीं, तो वहां बताना पड़ता है कि हां हमने ऐसा किया है। यह अदालत को भरोसा दिलाने के लिए है कि आरोपी बिना अदालत की अनुमति के देश छोड़ कर बाहर नहीं जाएंगे, अदालत के बुलाने पर पेश होंगे। कांग्रेस को लगता है कि जिस तरह से 1977 के बाद तब की सरकार ने इंदिरा गांधी को केस में फंसाया था और इंदिरा ने उनका डटकर मुकाबला किया, अब कांग्रेस की रणनीति है कि हेराल्ड मामले पर भी आक्रामक रवैया अपनाया जाए और जेल जाने की हालत में भी झिझका नहीं जाए। (इस बाबत मनोरंजन भारती की रिपोर्ट यहां पढ़ें)
नेशनल हेराल्ड की जगह कमर्शियल इमारत का निर्माण जांच के दायरे में
यहां बता दें कि नेशनल हेराल्ड की जगह पर कमर्शियल इमारत के निर्माण का मामला अब जांच के दायरे में आ चुका है। महाराष्ट्र विधानमंडल के शीतकालीन सत्र में सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने इसका ऐलान किया। 1983 में अखबार के दफ्तर के लिए मुम्बई के बांद्रा इलाके में 3478 वर्ग मीटर का प्लॉट दिया गया था।
मुंबई बीजेपी के अध्यक्ष आशीष शेलार ने सदन में बहस के दौरान दावा किया था कि नेशनल हेराल्ड के लिए असोसिएट जर्नल को दिए गए प्लाट के इस्तेमाल में कई गलतियां हुई हैं, जिनकी जांच होनी चाहिए। (इस बाबत पूरी खबर यहां क्लिक करके पढ़ें)
नेशनल हेराल्ड की मुम्बई की जमीन का गड़बड़झाला आरटीआई से उजागर करने वाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि अगर सही दिशा में जांच हुई तो इससे होने वाले कई खुलासे कांग्रेस को परेशान कर सकते हैं।
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